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अक्षय तृतीया पर 50 साल बाद #ग्रहों का #अद्भुत संयोग, बनेंगे 3 खास राजयोग


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#Akshaya Tritiya 2022: #अक्षय तृतीया पर 50 साल बाद #ग्रहों का #अद्भुत संयोग, बनेंगे 3 खास राजयोग
Akshaya Tritiya के अवसर पर प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के #कपाट खुलते हैं और वहां पूजा-अर्चना शुरू हो जाती है।
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Akshaya #Tritiya 2022 । हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया पर्व का विशेष महत्व है और हर साल वैशाख महीने की #शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया पर्व मनाया जाता है। कई स्थानों को इसे आखा तीज भी कहा जाता है। इस साल अक्षय #तृतीया मंगलवार, 03 मई को मनाई जाएगी। इस साल Akshaya Tritiya पर बूज मुहूर्त है, तो इस दिन आप बिना मुहूर्त देखे कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं। इसके अलावा अक्षय तृतीया मंगल #रोहिणी नक्षत्र के शोभन योग में है, जो तैतिल करण और वृषभ राशि के चंद्रमा के साथ आ रहा है।
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इस साल Akshaya Tritiya पर्व पर रोहिणी नक्षत्र के कारण मंगल रोहिणी योग बन रहा है। इस दिन शोभन योग #अक्षय तृतीया को शुभ बना रहा है, वहीं 50 वर्ष बाद ग्रहों के विशेष योग से भी #अद्भुत संयोग बन रहा है। 30 साल बाद अक्षय तृतीया पर बनने वाला शुभ योग भी इस दिन का महत्व बढ़ा रहा है।
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50 वर्षों के बाद ऐसा संयोग बनेगा जब दो ग्रह उच्च राशि में और दो प्रमुख ग्रह स्वराशि में स्थित होंगे। इसके अलावा #Akshaya Tritiya पर इन ग्रहों की युति से बने अद्भुत योग में दान करना बहुत पुण्य का काम होगा। इस दिन 4 ग्रहों की अनुकूल स्थिति में होना #Akshaya Tritiya को और भी खास बनाता है। इस दिन कोई भी शुभ कार्य करना शुभ फल देगा। शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं है।
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Akshaya Tritiya के #अवसर पर प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के कपाट खुलते हैं और वहां पूजा-अर्चना शुरू हो जाती है। वहीं इसी दिन वृंदावन के श्री बांके #बिहारी जी मंदिर में श्री विग्रह के चरण दर्शन किए जा सकते हैं। इस मंदिर में साल में सिर्फ एक ही दिन यानी Akshaya Tritiya पर्व पर ही दर्शन किए जा सकते हैं।
परशुराम #जयंती भी अक्षय तृतीया को मनाई जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार #वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को भगवान विष्णु ने परशुराम का अवतार लिया था। अक्षय तृतीया को बहुत शुभ दिन माना जाता है और इस दिन विवाह और सगाई के अलावा भवन, वाहन, कपड़े, आभूषण आदि खरीदना भी शुभ होता है। अक्षय तृतीया पर दान करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और पुण्य लाभ की भी प्राप्ति होती है।
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