


प्रतिष्ठित समूह सुमन साहित्यिक परी की ओर से *मेरे विचार* कार्यक्रम किया गया, इसके अंतर्गत समूह के सदस्यगणों से सुमन साहित्यिक परी पर होने वाले कार्यक्रमों के ऊपर उनके विचार तथा सुझाव मांगे गए थे और यह घोषणा की गई थी कि विजयी प्रविष्टियों को ₹200 की नगद धनराशि दी जाएगी ।कार्यक्रम में 3 प्रविष्टियां विजयी रही। डॉक्टर कुलदीप नारायण सक्सेना लखनऊ, श्री राजीव प्रखर जी मुरादाबाद और श्री गोविंद रस्तोगी जी मेरठ। सभी को बैंक द्वारा धनराशि ट्रांसफर की गई।
प्रस्तुत है विजयी प्रविष्टियों की रूपरेखा
1)सुमन साहित्यिक परी नजीबाबाद बिजनौर
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सुमन साहित्यिक परी, नजीबाबाद बिजनौर का पटल लोकप्रियता के नये आयाम यूं ही नहीं छू रहा है उसके अनन्य कारणों में से कुछ प्रभावी कारण मैं प्रस्तुत कर रहा हूं-
१-सुमन साहित्यिक परी नजीबाबाद बिजनौर पटल की भव्यता एवं सफलता का पहला कारण यह है कि इसकी संस्थापिका तन मन धन से साहित्य को समर्पित,परम विदुषी, दीपिका छन्द की रचयिता तथा साहित्योत्थान की प्रबल महत्वाकांक्षिनी श्रीमती दीपिका माहेश्वरी सुमन (अहंकारा) जी हैं जिन्हें अहंकार आज तक छू तक न पाया।
२- इस पटल की लोकप्रियता का दूसरा कारण यह है कि इस पटल को प्रदेश व देश के विशिष्ट व वरिष्ठ रचनाकारों का आशीर्वाद, युवा रचनाधर्मियों का ऊर्जावान समर्थन तथा नवोदित साहित्य साधकों का प्रेम प्राप्त है।
३-सुमन साहित्यिक परी पटल की दिव्यता का तीसरा कारण है कि यह पटल, पटल न होकर एक साहित्यिक तीर्थ सा लगता है जहां साहित्य की विभिन्न विधाओं के मन्दिरों के दर्शन संभव हैं। छन्द,मुक्तक ,सवैया, दोहे, चौपाई इत्यादि सभी विधाओं पर पटल पर चर्चा,समीक्षा,सृजन तथा आयोजन लगातार होते हैं उदाहरणार्थ अभी साहित्यकारों से आत्म रचित चौपाईयां आमंत्रित कर दीपिका जी द्वारा ‘सुमन साहित्यिक परी चौपाई संग्रह’ तैयार कर दिया गया जो चर्चा का विषय बना।छन्द की बात छिड़ी तो उल्लेखनीय है स्वयं दीपिका जी ने एक नया ‘दीपिका छन्द’ सृजित कर दिया।
४-इस पटल की सफलता का चौथा कारण यह है कि पटल द्वारा देश के विभिन्न राष्ट्रीय व परंपरागत पर्वों, अन्तर्राष्ट्रीय पर्वो, महानायकों के जन्म व निर्वाण तिथियों तथा अन्य सामयिक विशेष अवसरों पर सरस आभासी काव्यगोष्ठियों का आयोजन स्ट्रीम यार्ड पर किया ही नहीं जाता अपितु कार्यक्रम का लाइव फेसबुक प्रसारण किया जाता है जिसमें अनेक साहित्य प्रेमी श्रोता व दर्शक जुड़कर आनन्दलाभ प्राप्त करते हैं।
५-पटल की श्रेष्ठता का पांचवां कारण यह है कि विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों या अवसरों पर साहित्यकारों से रचनाएं आमंत्रित कर उनका आनलाइन प्रकाशन करके सभी को सुलभ किया जाता है। उदाहरणार्थ ‘विश्व कविता दिवस’ पर शानदार रचनाएं मंगाकर तथा उनका प्रकाशन करके पटल ने विश्व कविता दिवस को सार्थकता प्रदान की।
६-काव्यगोष्ठियां हों या किसी विधा या अवसर पर आमंत्रित रचनाओं का संयोजन, दीपिका जी रचनाकारों को स्मृति चिन्ह तथा प्रमाण पत्र देकर सम्मानित करना कभी नहीं भूलतीं और यही एक श्रेष्ठ साहित्यकार का परिचय होता है।
७-समय समय पर दीपिका जी इस पटल पर विभिन्न ख्यातिप्राप्त रचनाकारों के इन्टरव्यू आयोजित कर उनके व्यक्तित्व व कृतित्व से सभी को लाभान्वित कराती रहतीं हैं, उदाहरणार्थ सुप्रसिद्ध रचनाकार श्री गोविन्द रस्तोगी जी, लब्धप्रतिष्ठित गजलकार श्री नरेन्द्र भूषण जी आदि।
८-यह पटल सभी साहित्य साधकों को साथ लेकर चलने वाला,सबको नये प्लेटफार्म प्रदान करने वाला,सबका साहित्यिक उत्थान चाहने वाला पटल है उदाहरणार्थ दीपिका जी ने अपने साथ स्वयं मुझे भी बिहार के एक लोकप्रिय टीवी चैनल से मेरे इन्टरव्यू तथा मेरे द्वारा प्रस्तुत रचनापाठ का प्रसारण कराया गया।
९-सुमन साहित्यिक परी नजीबाबाद बिजनौर, फेसबुक और यूट्यूब पर रजिस्टर ब्रांड है।
१०-पटल की शोभा का कारण यह भी है कि पटल विशुद्ध साहित्यिक है तथा किसी प्रकार की विवादास्पद/राजनीतिक प्रसंगों से सदैव दूरी रखता है।
सुझाव-
मेरा सुझाव है कि दीपिका जी पटल कार्यों में व्यस्तता के साथ साथ अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें जिससे पटल को वे सतत ऊर्जा प्रदान करती रहें।
मैं इस पटल के उत्तरोत्तर विकास तथा चहुंमुखी विस्तार की कामना करते हुए स्वयं को सौभाग्यशाली समझता हूं कि मैं प्रारंभ से ही इस पटल से जुड़ा हुआ हूं।
–डा.कुलदीप नारायण सक्सेना लखनऊ
2)’सुमन साहित्यिक परी’ पटल पर मेरा अनुभव
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मैं पिछले लगभग डेढ़ वर्ष से इस प्रतिष्ठित साहित्यिक पटल से जुड़ा हुआ हूॅं और इस डेढ़ वर्ष की अवधि में मैंने देखा कि यह पटल साहित्य को आम जनमानस तक पहुॅंचाने की दिशा में निरंतर सक्रिय है। मैं मानता हूॅं कि अभी इस पटल की शुरुआत ही है क्योंकि दो वर्ष की अवधि किसी भी साहित्यिक पटल के लिए बहुत बड़ी नहीं कही जा सकती परन्तु, अभी तक की यह यात्रा नि:संदेह प्रशंसनीय है। कोई भी साहित्यिक पटल समय के साथ ही निरंतर निखरता है और मार्ग में कहीं न कहीं लड़खड़ाहट भी उसके सम्मुख आती है, यह बात इस पटल पर भी लागू होती है परन्तु, इसके बावजूद भी सीख लेते हुए स्वयं में निरंतर सुधार करना अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाता है और इस दृष्टि से पटल की प्रगति प्रशंसनीय व संतोषजनक कही जायेगी। मेरे व्यक्तिगत मतानुसार तीन महत्वपूर्ण बिंदु ऐसे हैं जिन पर और अधिक सक्रियता की आवश्यकता है –
१) प्रयास यह होना चाहिए कि समूह पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम मात्र काव्य-गोष्ठी तक ही सीमित न रहें, साहित्य से जुड़ी अन्य अनेक गतिविधियाॅं भी हैं जिन पर समय-समय पर कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं। जैसे भेंटवार्ता, किसी विधा विशेष पर चर्चा, किसी कृति के विषय में चर्चा इत्यादि।
२) दूसरी बात मैं यह भी कहना चाहूंगा कि इस समूह पर अनेक वरिष्ठ विद्वजन जुड़े हुए हैं जिन्होंने साहित्य सेवा करते हुए जीवन का एक लंबा अरसा गुजारा है। ऐसे अनुभवी एवं वरिष्ठ विद्वानों की निरंतर उपस्थिति व सक्रियता निश्चित ही पटल को अपने उद्देश्यों की ओर अग्रसर रखने में सहायक होगी। मैंने यह अनुभव किया है कि वरिष्ठ साहित्यकार व रचनाकार अक्सर कार्यक्रम से अनुपस्थित रहते हैं अथवा आयोजन के संबंध में उनसे यथा समय कोई स्पष्ट सहमति नहीं मिलती तो उससे निश्चित रूप से कार्यक्रम के स्तर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। अतः पटल की इन साहित्यिक गतिविधियों के पूर्ण लाभकारी रहने की दृष्टि से यह बहुत आवश्यक है कि सभी वरिष्ठजन यथा संभव कार्यक्रमों से जुड़कर अपना अनमोल अनुभव बाॅंटते रहें। उनकी निरंतर उपस्थिति कनिष्ठ साहित्य साधकों को भी निश्चित रूप से प्रेरित करेगी।
३) कार्यक्रम के पश्चात् किसी एक दिवस में उस कार्यक्रम की समीक्षा भी आयोजित की जानी चाहिये जिससे यदि किसी कार्यक्रम में कोई कमी रह गयी है तो आने वाले कार्यक्रमों में उसे सुधारा जा सके।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि पटल परिवार ऐसा करने में सक्षम है।
हार्दिक मंगलकामना सहित –
– राजीव ‘प्रखर’
(मुरादाबाद)
3)सुमन साहित्यिक परी के आयोजन
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यह सर्व विदित है कि राष्ट्रीय मीडिया की वर्तमान स्थिति और लोकप्रिय पत्र पत्रिकाओं के बंद होने पर रचनाकारों के समक्ष सोशल मीडिया मात्र विकल्प है, जहां से वांछित संतुष्टि पाने का प्रयास किया जा सकता है।हमारा पटल देश में चल रहे पटलों में विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
हर पटल का एक केंद्र विंदु तो होता ही है।इस प्रकार इस पटल में भी प्रगतिशील सूत्रधार है। मैं
लगभग 2 वर्षों से पटल से जुड़ा हूँ और अत्यंत उत्साहित हूं।हमारे सदस्य अपनी अपनी विधाओं में निपुण हैं,कविगोष्टी,साक्षात्कार
विशेषतः काव्य विधा में, सुमन साहित्यिक परी के पटल पर सफल कार्यक्रम पटल के उद्देश्य के अनुकूल हैं। मेने देखा है कि हमारे कुछ सदस्य अपने अपने पटल भी चला रहे हैं।मेरा सुझाव है कि यदि हमारे सब पटल कभी कभी समवेत सर्वमान्य कार्यक्रम करे तो और भी आनंद आएगा।
गोविन्द रस्तौगी
मेरठ
श्रीमती दीपिका माहेश्वरी सुमन (अहंकारा) संस्थापिका सुमन साहित्यिक परी नजीबाबाद बिजनौर



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