
अनियंत्रित सोशल मीडिया नींद में कमी, बाधित और विलंबित नींद , स्मृति हानि और खराब शैक्षणिक प्रदर्शन से जुड़ा है। अनियंत्रित सोशल मीडिया का उपयोग उपयोगकर्ताओं के शारीरिक स्वास्थ्य को और भी अधिक सीधे प्रभावित कर सकता है। इसी पर ईयर टू हियर प्लेटफार्म पर, चर्चा जारी है! माननीय ऋचा मेहता पेज 3 सेलिब्रिटी और इस अद्भुत सामाजिक पहल की संस्थापक द्वारा दिया गया विषय , इस पर कई बौद्धिक सदस्यों द्वारा चर्चा की गई! हाल ही में, ईयर टू हियर की नेशनल एडवाइजर डॉ. माधवी बोरसे, और माननीय गेस्ट स्पीकर्स, विकास परेडवाल जो कि एक फिटनेस कोच और फ्रीलांसर है और मेकअप आर्टिस्ट संजना राणा ने मिलकर इस पर चर्चा की!
सभी ने कहा की, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया जिम्मेदार है। यह व्यवस्थित अध्ययन मानसिक स्वास्थ्य पर सामाजिक नेटवर्क के उपयोग के प्रभावों का सार प्रस्तुत करता है। 50 पेपरों को गूगल स्कॉलर डेटाबेस से शॉर्टलिस्ट किया गया था, और विभिन्न समावेशन और बहिष्करण मानदंडों के आवेदन के बाद, 16 पेपर चुने गए और सभी पेपरों का मूल्यांकन गुणवत्ता के लिए किया गया। आठ पेपर क्रॉस-सेक्शनल अध्ययन थे, तीन अनुदैर्ध्य अध्ययन थे, दो गुणात्मक अध्ययन थे, और अन्य व्यवस्थित समीक्षाएं थीं। निष्कर्षों को मानसिक स्वास्थ्य के दो परिणामों में वर्गीकृत किया गया: चिंता और अवसाद। सोशल मीडिया गतिविधि जैसे कि मानसिक स्वास्थ्य डोमेन पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए बिताया गया समय। हालांकि, क्रॉस-अनुभागीय डिजाइन और नमूने की पद्धतिगत सीमाओं के कारण, काफी अंतर हैं।
ब्यूटीशियन संजना राणा जी ने कहा की मनुष्य सामाजिक प्राणी है जिसे जीवन में प्रगति करने के लिए दूसरों के सहयोग की आवश्यकता होती है। इस प्रकार, अन्य लोगों के साथ सामाजिक रूप से जुड़े रहने से तनाव, चिंता और उदासी दूर हो सकती है, लेकिन सामाजिक संबंध की कमी मानसिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम पैदा कर सकती है !
वही विकास परेडवाल जो कि एक फिटनेस कोच भी है, उन्होंने कहा
सोशल मीडिया हाल ही में लोगों की दैनिक गतिविधियों का हिस्सा बन गया है; उनमें से कई प्रतिदिन मैसेंजर, इंस्टाग्राम, फेसबुक और अन्य लोकप्रिय सोशल मीडिया पर घंटों बिताते हैं। इस प्रकार, कई शोधकर्ता और विद्वान लोगों के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर सोशल मीडिया और अनुप्रयोगों के प्रभाव का अध्ययन करते हैं!
ईयर टू हियर की नेशनल एडवाइजर डॉ. माधवी बोरसे जी ने कहा इस बात से कोई इंकार नहीं है कि सोशल मीडिया अब कई लोगों के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। सोशल मीडिया के कई सकारात्मक और सुखद लाभ हैं, लेकिन इससे मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं।
हालांकि, कई अध्ययनों में भारी सोशल मीडिया और अवसाद, चिंता, अकेलापन, आत्म-नुकसान और यहां तक कि आत्मघाती विचारों के बढ़ते जोखिम के बीच एक मजबूत संबंध पाया गया है। सोशल मीडिया नकारात्मक अनुभवों को बढ़ावा दे सकता है जैसे: आपके जीवन या उपस्थिति के बारे में अपर्याप्तता।
चलो अपनों के साथ वक्त बिताए,
कैसे बिताना है,
स्वयं को और सभी को सिखाएं,
हर वक्त सोशल मीडिया मैं घूम ना रहकर,
सोशल मीडिया के लिए एक वक्त बनाएं,
स्वयं को तनाव मुक्त पाएं,
वास्तविक जीवन मैं भी जीते जाए!!
डॉ. माध्वी बोरसे!
विकासवादी लेखिका!
राजस्थान! (रावतभाटा)
