
रात अमावस की तो क्या,
घर घर हुआ उजाला, सजे कोना कोना दिपशिखा से!
मन मुटाव मत रखना भाई, आयी दिवाली आयी !
झिलमिल झिलमिल बिजली की, रंगबी रंगी लड़िया
दिल से हटा दो फरेब की फुलझड़िया!
दिवाली पर्व हैं मिलन का, नजर पड़े जिस और देखो
भरे हैं खुशियों से चेहरे !
चौदह बरस बाद लौटे हैं, सिया लखन रघुराई
दिवाली का दिन हैं जैसे, घर में हो कोई शादी!
हैं रोशनी का यह त्यौहार,
लाये हर चेहरा पर मुस्कान
सुख और समृध्दि की बहार,
समेट लो सारी खुशियां
अपनों का प्यार और साथ,
इस पवन अवसर पर
आप सब को दिवाली की शुभकामनाएं!
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