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मीडिया प्रजातंत्र का चौथा स्तंभ है पत्रकारों को मानदेय दिया जाये – सूरज ब्रम्हे


मीडिया प्रजातंत्र का चौथा स्तंभ है पत्रकारों को मानदेय दिया जाये – सूरज ब्रम्हे, ( प्रधानमंत्री एवं प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों से मानदेय दिए जाने की मांग )
राष्ट्रीय प्रेस महासंघ के राष्ट्रीय संरक्षक एवं नरेंद्र मोदी विचार मंच के राष्ट्रीय संयोजक सूरज ब्रम्हे ने राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर देश वासियों को सभी पत्रकार बंधुओ को बधाई देते हुवे भारत सरकार के यशस्वी प्रधानमंत्री एवं समस्त प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों से मांग की है कि जिस तरह प्रजातंत्र के तीनों स्तम्भो में काम करने वालों को मानदेय या वेतन के रूप में एक निश्चित राशी दी जा रही है उसी तरह प्रजातंत्र का चौथा स्तंभ कहलाने वाला मीडिया ( पत्रकारिता ) में काम करने वाले पत्रकार को भी मानदेय या वेतन के रूप में प्रतिमाह एक निश्चित राशी दी जाये। श्री ब्रम्हे ने कहा कि यदि पत्रकार ना होते तो आज देश की दिशा और दशा कैसी होती इसके बारे में गहराइयों में जाकर शासन – प्रशासन में बैठे लोगों को सोचना चाहिए।  जब एक आम आदमी को समस्या होती है उसकी बातों को कोई सुनने वाला नहीं होता वह व्यक्ति तीनों स्तंभों कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका से हार थक कर चुपचाप घर बैठने पर मजबूर हो जाता है। तब एक पत्रकार ही उसकी उम्मीद बनकर उसकी बातों को खबरों के माध्यम से प्रकाशित कर शासन -प्रशासन को अवगत कराता है। समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार के आधार पर शासन – प्रशासन में बैठे हुवे लोग कार्यवाही करते हुवे उस आदमी को न्याय दिलाते है। जब कोई कम्पनी , कोई संस्था , दुकान वाले, शोरूम वाले या शासन -प्रशासन  के लोग अपनी बातों को जन-जन तक पहुंचाना चाहते हैं । प्रचार प्रसार करवाना चाहते हैं , तब उन्हें भी एक पत्रकार याद आता है, और एक पत्रकार की कलम की वजह से उनकी बात देश के हर एक नागरिक तक बड़ी आसानी से पहुंचाई जाती है। हम सब कोरोना काल को याद करके सिहर उठते हैं। कोरोना काल की परेशानियों को हमने  बहुत करीब से देखा है। लोगों को भूख से तड़पते , पानी के बिना प्यास से तड़फते, ऑक्सीजन की कमी से लोगों को तड़फते देखा है। मारामारी चारों तरफ फैली हुई थी अस्पतालों में बेड नहीं थे। चारो तरफ हाहाकार मचा हुआ था। सभी लोग अपनी जान बचाने के लिए घर मे दुबक कर बैठे थे। इन सब तस्वीरों को देख कर भी अपनी जान जोखिम में डालकर एक पत्रकार ने ही जनता की परेशानियों को समाचार के माध्यम से  शासन-प्रशासन को अवगत कराने का काम किया था। अपनी जान की परवाह न करते हुवे एक पत्रकार ही क्षेत्र की हर स्तिथि से जनता के बीच में रहकर कोरोना महामारी में एक योद्धा की तरह शासन-प्रशासन को हर स्तिथि से अवगत कराते रहा है। देश की जनता तक सच्चाई लाना, शासन प्रशासन से सवाल करना, अपराध भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलना, एक पत्रकार ही हिम्मत कर सकता है। शासन प्रशासन द्वारा सच्चाई को हमेशा छुपाने का काम किया जाता है। यह बात हर किसी को पता है परंतु मीडिया ही है जो लूटपाट , हत्या ,बलात्कार ,अपहरण,शोषण, छीना झपटी , चोरी -डकैती जैसे जघन अपराधों को समाचारों के माध्यम से पर्दाफाश करके जन जन तक पहुंचाने का कार्य करता है। समाचार प्रकाशित होने से पत्रकार के कई दुश्मन बन जाते हैं। फिर भी पत्रकार अपने और अपने परिवार की जान की चिंता किए बिना ईमानदारी से अपने काम मे लगा रहता है। दबंगों, माफियों और भ्रस्टाचार के विरुद्ध समाचार प्रकाशित करने पर कई पत्रकारों ने अपनी जान भी गवा बैठे हैं। आज माफिया, भ्रष्टाचारी और दबंगों के विरुद्ध समाचार प्रकाशित होने पर पत्रकारों पर झूठा आरोप लगाकर  बड़ी आसानी से कोई भी झूठा केश बनाकर जेल में डाल दिया जाता है। जिससे पत्रकारों का मनोबल गिरे और पत्रकार किसी भी अपराध के बारे में समाचार प्रकाशित ना कर सके। जिस तरह पत्रकार अपनी जान पर खेल कर होने जा रहे अपराध या हो चुके हुवे अपराध को समाचार में प्रकाशित कर शासन -प्रशासन को अवगत कराकर अपराध पर अंकुश लगाने का कार्य  करता है। उसे तो शासन – प्रशासन द्वारा प्रोत्साहित करना चाहिए किन्तु पत्रकार पर झूठा मुकदमा दर्ज कर उन्हें प्रताणित किया जाता है। जो निंदनीय है। क्योंकि एक पत्रकार ही है जो शासन – प्रशासन और जनता की आवाज के बीच की एक धूरी है।जनता की आवाज को शासन प्रशासन तक और शासन – प्रशासन की आवाज को जनता तक पहुंचाने का काम करता है। मीडिया एक आईना है जो समाज के सामने सच परोसता है। राष्ट्रीय प्रेस महासंघ के राष्ट्रीय संरक्षक एवं नरेंद्र मोदी विचार मंच के राष्ट्रीय संयोजक सूरज ब्रम्हे ने मा.प्रधानमंत्री एवं समस्त प्रदेशों के मा.मुख्यमंत्रीयो से मांग की है कि प्रजातंत्र के तीनों स्तंभ में काम करने वाले को जिस तरह मानदेय या वेतन के रूप में जो एक निश्चित राशी प्रतिमाह दी जाती है उसी तरह प्रजातंत्र के चौथे स्तंभ में काम करने वाले  देश के सभी पत्रकारों को भी प्रतिमाह एक निश्चित राशी मानदेय के रूप में दिए जाने की घोषणा कर राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर देश के पत्रकार बंधुओ को सम्माननित किया जाये।  साथ ही किसी भी पत्रकार पर अपराध पंजीबद्ध करने से पूर्व किसी आई.पी.एस. अधिकारी से सूक्ष्मता से जांच करवाई जाये उसके बाद ही यदि उस पत्रकार की गलती है तो अपराध पंजीबद्ध किया जाए अन्यथा जिसने पत्रकार के विरुद्ध झूठी शिकायत की है उसके विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध किया जाये।
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