
सुमन साहित्यिक परी मंच द्वारा फेसबुक पटल पर ऑनलाइन लाइव कार्यक्रम अमृत काव्य धारा का आयोजन किया गया जिसमें संपूर्ण देश के 12 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया कार्यक्रम का संचालन मंच के अध्यक्षा डॉक्टर दीपिका माहेश्वरी सुमन अहंकारा ने किया कार्यक्रम का शुभारंभ मां वीणा पानी की वंदना से हुआ जिसका सुंदर गायन प्रस्तुतीकरण मुरादाबाद के शेष साहित्यकार आदरणीय राजीव प्रखर जी द्वारा किया गया तत्पश्चात प्रतिभाग करने वाले सभी कर्मियों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति से मंच को सुशोभित किया। कार्यक्रम में विभिन्न रचनाकारों ने विभिन्न विधाओं की रचनाएं सुनाकर कार्यक्रम का मान बढ़ाया।
लखनऊ से ही बारिश साहित्यकार आदरणीय चंद्र देव दीक्षित ‘शास्त्री’ जी ने मंच को सुंदर गजल से सुशोभित किया_
“अब ज़माने का चलन न्यारा मुझे लगने लगा,
दर्द ही न जाने क्यों प्यारा मुझे लगने लगा।।”
मुरादाबाद के वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय राजीव प्रखर जी ने मंच को इस प्रकार अपनी वाणी से सम्मानित किया_
“शब्द पिरोने का यह सपना, इन नैनों में पलने दो।
मैं राही हूॅं लेखन-पथ का, मुझे इसी पर चलने दो।
कल-कल करती जीवनधारा, पता नहीं कब थम जाए,
मेरे अन्तस के भावों को, कविता में ही ढलने दो।”
चंदौसी संभल से डॉक्टर रीता सिंह जी ने सुंदर मुक्तक से मंच का मान बढ़ाया_
” पीर परायी आँसू मेरे ,कुछ ऐसे अहसास चाहिये ,
महके सौरभ रेत कणों में ,हरी भरी इक आस चाहिये ।।
चमक दिखाती इस दुनिया में ,नहीं झूठी कोई शान चाहिये ,
मुझको तो सबके चेहरे पर ,इक सच्ची मुस्कान चाहिये ।।”
जबलपुर से लाभ प्रतिशत साहित्यकार आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी ने सुंदर पंक्तियों से मंच को सजाया_
” जिसमें दिखती हो सच्चाई वह तस्वीर बने.
किसमें इतनी हिम्मत है जो आज कबीर बने. “
प्रयागराज से वरिष्ठ साहित्यकार अशोक श्रीवास्तव जी ने नारी सशक्तिकरण पर रचनाएं सुनाई _
“करते कन्या भोज, गर्भ पर चलती आरी,
पूजी जाती मूर्ति, छली जाती है नारी.”
मध्य प्रदेश जबलपुर से आचार्य संजीव वर्मा सलिल जी ने व्यंगात्मक रचनाओं से समाज को दिशा दिखाते हुए अपनी बात कही_
“बाप की दो बात सह नहीं पाते।
अफसरों की लात भी प्रसाद है।।
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पत्थर से हर शहर में मिलते मकां हजारों
मैं ढूँढ ढूँढ हारा घर एक नहीं मिलता।।”
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मुरादाबाद से वयोवृद्ध साहित्यकार श्री कृष्ण शुक्ला जी नेअपनी सुंदर रचनाओं से समा बांधा_
“एक से सब दिन न होंगे, एक सी नहिं रात होगी
उजाले यदि साथ देंगे, अँधेरों में घात होगी,
तुम सतत चलते रहे तो जीत भी आसान होगी,
राह अपनी खुद बनाना, जिन्दगी आसान होगी I”
मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ मनोज रस्तोगी ने अपनी रचना ” तमाशा जन्मदिन का ” प्रस्तुत करते हुए कहा …बच्चा टुकुर टुकुर देखता रहा /मम्मी डैडी को/ लिफाफों को/ और लोगों की अर्थ भरी मुस्कुराहटों को
अयोध्या से डॉ स्वदेश मल्होत्रा रश्मि” जी ने सुंदर ग़ज़ल से मंच को सुशोभित किया
लाख ओढ़े हिजाब होता है
चेहरा सबका किताब होता है
रोज चढ़ता है जो स्लीबों पर
शख्स वो ही गुलाब होता है
इसके अतिरिक्त श्री नरेंद्र भूषण जी गोविंद रस्तोगी जी श्याम सुंदर तिवारी जी, सुरेश चौधरी जी तथा सुधीर देशपांडे जी ने कार्यक्रम में प्रतिभाग कर अपनी रचनाएं सुनाई कार्यक्रम के अंत में संचालिका दीपिका महेश्वरी ने सभी का आभार व्यक्त कर कार्यक्रम का समापन किया।
डॉक्टर दीपिका महेश्वरी ‘सुमन’ (अहंकारा) संस्थापिका सुमन साहित्यिक परी नजीबाबाद बिजनौर यूपी 7060714750
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