

बिजनौर जिला के कस्बा साहनपुर तृतीया पुनर्वसुनक्षत्र, कृष्णपक्ष पौस मास, हेमन्त ऋतु दक्षिणाय, दिन रविवार को सर्व सम्मति से नव आर्य समाज साहनपुर का गठन किया गया। महर्षि दयानन्द सरस्वती जी के वैदिक सिद्धान्तों के प्रतिपादन तथा भारतीय संस्कृति एवं समाज के सर्वागीण उत्थान के लिए आर्य समाज की स्थापना के अवसर पर यज्ञ का आयोजन किया गया। यज्ञ के यज्ञमान नवनीत आर्य तथा पुरोहित मुकेश आर्य मंत्री आर्य समाज आदर्शनगर नजीबाबाद) रहें। धर्मप्रकाश आर्य द्वारा बताया गया कि “आर्य” का अर्थ है भद्र एवं ‘समाज’ का अर्थ है सभा। अत: आर्य समाज का अर्थ है ‘भद्रजनों का समाज’ या ‘भद्रसभा’। पहलेआर्य समाज का केन्द्र एवं धार्मिक राजधानी लाहौर में थी, यद्यपि अजमेर में स्वामी दयानन्द की निर्वाणस्थली एवं वैदिक-यन्त्रालय (प्रेस) होने से वह लाहौर का प्रतिद्वन्द्वी था। लाहौर के पाकिस्तान में चले जाने के पश्चात् आर्य समाज का मुख्य केन्द्र आजकल दिल्ली है। यज्ञोपरान्त आर्य समाज के कार्यकारणी तथा सदस्यों का चयन किया गया। आर्य समाज की इस नगर इकाई के गठन में संरक्षक पद पर सन्तोष बाला आर्य, प्रधान धर्मप्रकाश आर्य, उप प्रधान अतर सिंह राजपूत,मंत्री नवनीत आर्य, उपमंत्री संजीव शर्मा उर्फ टीटू, कोषाध्यक्ष कावेन्द्र सिंह, निरीक्षक मुकेश आर्य,आर्य समाज के प्रचार प्रसार के लिए प्रचार मंत्री विकास कुमार आर्य को मनोनीत किया गया। गोविन्द सिंह राजपूत, राज कुमार जी, ऋषिपाल सिंह राजपूत सदस्य के रूप में मनोनीत किए गए।


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