
नव आर्य समाज साहनपुर के तत्वाधान में किया गया आर्य भवन रवापुरी में साप्ताहिक हवन का आयोजन।
सोशल एक्टिविस्ट अनामिका आर्य के जन्मदिवस के उपलक्ष पर किया गया हवन
जिला बिजनौर के कस्बा साहनपुर के नव आर्य समाज साहनपुर का सप्ताहिक यज्ञ आर्य समाज के प्रधान धर्मप्रकाश आर्य के निवास स्थान आर्य भवन पर उनकी पुत्र वधू अनामिका आर्य के जन्मदिवस के शुभावसर पर संपन्न हुआ। यज्ञ के ब्रह्मा हरप्रसाद शास्त्री, यजमान धर्म प्रकाश आर्य व सुनीता आर्य रहे। सभी ने यज्ञ में आहुतियां देकर सभी के लिए निर्मल बुद्धि की कामना की। अनामिका आर्य ने स्वामी दयानंद द्वारा किए गए महिला सशक्तिकरण के विषय पर व्याख्यान किया।

यज्ञोंपुरोहित हरप्रसाद शास्त्री ने बताया कि स्वामी दयानंद ने 1875 में बंबई (अब मुंबई) में आर्य समाज की स्थापना की। उन्होंने वेदों को समस्त ज्ञान एवं धर्म के मूल स्रोत और प्रमाण ग्रंथ के रूप में स्थापित किया। अनेक प्रचलित मिथ्या धारणाओं को तोड़ा और अनुचित पुरातन परंपराओं का खंडन किया। उस अंधकार के युग में महर्षि दयानंद ने सर्वप्रथम उद्घोष किया कि, वेद सब सत्य विद्याओं की पुस्तक है। वेद का पढना-पढ़ाना और सुनना-सुनाना सब आर्यों का परम धर्म है। संपूर्ण भारतीय जनमानस को उन्होंने वेदों की ओर लौटने का आह्वान किया । वेद के प्रति यह दृष्टि ही स्वामी दयानंद की विलक्षणता है। महर्षि दयानंद ने मनुष्य मात्र के लिए वेदों के अध्ययन के द्वार खोले थे, जिसके माध्यम से उन्होंने भारतीय संस्कृति के पुनरुत्थान का मार्ग प्रशस्त किया। इस अवसर पर हरप्रसाद शास्त्री, धर्म प्रकाश तथा किशन चंद शर्मा जी नवनीत आर्य, विकास कुमार आर्य,अनामिका आर्य,संजीव शर्मा, सुरभि सिंह,शिवानी सिंह आर्य,दीपिका आर्य आदि महानुभावों ने आर्य समाज के सिद्धांतों पर अपने विचार व्यक्त किए।
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