
नजीबाबाद/जोगिरम्पुरी| दरगाह-ए-आलिया नजफ़-ए-हिन्द पर चल रही पाँच रोज़ा मजालिस-ए-अय्यामे फ़ातमिया की अलविदाई मजालिस को मौलाना अली गाज़ी ने ख़िताब किया । पेशख़्वानी और नौहाख़्वानी जनाब शहंशाह बिजनौरी ने की । मजालिस में मौलाना गाज़ी ने सीरत-ए-जनाब-ए-फ़ात्मा ज़हरा स.अ. पर रौशनी डालते हुए कहा- पैग़म्बर-ए-इस्लाम ने फरमाया की अल-फ़ातेमातो सय्यदातुन निसाइल आलमीन यानि फ़ात्मा स.अ. तमाम जहान की औरतों की सरदार हैं ख़ुदा ने मर्दों की हिदायत के लिए एक लाख चौबीस हज़ार नबियों को भेजा लेकिन औरतों के लिए सिर्फ़ किरदार-ए-जनाब-ए-फ़ात्मा स.अ. को ही मुक़म्मल उस्वा-ए- क़रार दिया । मौलाना ने कहा की एक औरत के समाज में तीन किरदार होते हैं बेटी , पत्नी और माँ जनाब-ए-फ़ात्मा स.अ. औरत के तीनों हालात में बेहतरीन नमूना-ए-अमल हैं मौलाना ने कहा उम्मुल मोमनीन जनाब-ए-आयशा फ़रमाती हैं की जब भी जनाब-ए-फ़ात्मा स.अ. पैग़म्बर-ए-इस्लाम के सामने आती थीं आप अपनी मसनद से उठ खड़े होते थे और जनाब-ए-फ़ात्मा स.अ. के हाथों व पेशानी का बोसा लेते थे जब पूछा गया तो पैगम्बर ने फरमाया के जब मैं इस ज़मीन पर जन्नत की ख़ुशबू महसूस करना चाहता हूं तो अपनी बेटी फ़ात्मा स.अ. की पेशानी का बोसा लेता हूँ । मौलाना ने कहा की फरमान-ए-रसूल स.व. है की मेरे बाद मेरी रज़ा ओ नाराज़गी देखनी हो तो फ़ात्मा स.अ. की रज़ा देखो यानि जिससे फ़ात्मा ज़हरा स.अ. राज़ी हैं तो उससे पैगम्बर राज़ी हैं और जिससे फ़ात्मा ज़हरा स.अ.नाराज़ हैं उससे पैगम्बर नाराज़ हैं और जिससे पैग़म्बर नाराज़ हों उससे अल्लाह राज़ी नही हो सकता लिहाज़ा हमें चाहिए की ख़ुशनूदी-ए-जनाब-ए-ज़हरा स.अ. को मद्दे नज़र रखें । इस मौके पर इंतेजामिया कमेटी दरगाह-ए-आलिया नजफ़-ए-हिन्द के ज्वॉइंट सैक्रेट्री मौलाना क़सीम अब्बास ने इंतेज़ामिया कमेटी दरगाह-ए-आलिया नजफ़-ए-हिन्द की जानिब से अय्यामे फ़ातमिया की मजलिसों में शिरक़त करने वाले तमाम मोमनीन का शुक्रिया अदा किया । प्रोग्राम के इख़्तेताम पर वतन-ए-अज़ीज़ हिंदुस्तान के अमन ओ तरक़्क़ी के लिए दुआ की गई ।
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