उज्जैन में अभ्युदयपुरम प्राण प्रतिष्ठा समारोह में पंचकल्याणक शुरू, महलनुमा डोम में सजा राजसी दरबार
कर्नाटक के राज्यपाल गेहलोत ने किया राज दरबार का उद्घाटन, आचार्य मुक्तिसागरसूरीजी को डॉक्टरेट की उपाधि
उज्जैन। श्री अभ्युदयपुरम जैन गुरुकुल उज्जैन के भव्य प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतर्गत सोमवार सुबह 10.30 बजे राजा अश्वसेन राजदरबार (मुख्य डोम) का गरिमापूर्ण उद्घघाटन त्रिआचार्यवृंद की निश्रा एवं कर्नाटक के राज्यपाल महामहिम थावरचंद गेहलोत के आतिथ्य में हुआ। आकर्षक झूमर, लाइटिंग के साथ राज शाही अंदाज में तैयार किए गए इस दरबार (डोम) में प्रभु के च्यवन, जन्म, दीक्षा से लेकर मोक्ष कल्याणक के मुख्य स्टेज प्रोग्राम होंगे। राज दरबार के उद्घघाटन का लाभ इंदिरा बेन प्रेमचंदजी, पूर्वी डॉ. राहुल कटारिया परिवार को मिला। कर्नाटक के राज्यपाल महामहिम थावरचंद गेहलोत, रतलाम विधायक चैतन्य कश्यप के गरिमामय आतिथ्य में राजदरबार का फीता खोला गया। प्रतिष्ठाचार्य श्रीनरदेवसागरसूरीजी महाराज, तीर्थ प्रेरक संस्कार यज्ञप्रणेता आचार्यश्री मुक्तिसागरसुरीश्वरजी मसा, आचार्यश्री मतिचंद्रसागरजी ने वास्तक्षेप डालकर ये विधि कराई। उद्घघाटन उपरांत आचार्यश्री मुक्तिसागरसूरीजी म.सा. को मदर टैरेसा इंटरनैशनल यूनिवर्सिटी से मिली डॉक्टरेट की मानद उपाधि भी राज्यपाल गेहलोत द्वारा प्रदान की गई। इसकी घोषणा होते ही पूरा दरबार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। एंटी क्राइम के चीफ राजेश मुनोत व पत्रकार डॉ संजय जोशी बेंगलूरु भी बतौर अतिथि मौजूद रहे। इस अवसर पर महोत्सव समिति चेयरमैन बाबूलाल डूंगरिया मुंबई ने सोने की गिन्नी से गुरु पूजन किया। दौराने कार्यक्रम अभ्युदयपुरम ट्रस्ट मंडल एवं महोत्सव समिति के मफतलाल संघवी, विजय सुराणा, सुभाष दुग्गड, संजय जैन खलीवाला, संजय संघवी प्रियेश जैन, एडवोकेट चिराग बांठिया, बृजेश श्रीश्रीमाल आदि ने राजपाल गेहलोत एवं विधायक कश्यप का मोती की माला, शॉल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर अभिनंदन किया। मनासा से संगीतकार हितेश भाई ने गुरु भक्ति गीतों की मनभावन प्रस्तुति दी एवं प्रभावी संचालन डॉ. राहुल कटारिया ने किया।
सबसे बड़ा साधु पद, गेहलोत जी से 22 साल से नाता..
मानव सेवा एवं बच्चों में आधुनिक शिक्षा के साथ संस्कारों का सर्जन करने के क्षेत्र में किए कार्य को लेकर आचार्यश्रीजी को डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की गई। इस पर उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा पद तो साधु का होता है और उसके बाद आचार्य का वह पद गुरु से मिल चुका है। अब ये उपाधि तो सिर्फ नाम की है। राजपाल गेहलोतजी से 22 साल पुराना नाता है। पहले कई बार आए लेकिन राज्यपाल के रूप में पहली बार गुरुकुल पधारे। धर्म से नहीं लेकिन कर्म से जैन होकर वे कई नियमों का पालन करते हैं।
आशीर्वचन पाकर अभिभूत हूं, गुरुकुल हमारी प्राचीन परंपरा..
इस दौरान राजपाल गेहलोत ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज गुरुदेव के आशीर्वचन पाकर एवं डॉक्टरेट की उपाधि देकर मैं अभिभूत महसूस कर रहा हूं। गुरुकुल हमारी प्राचीन परंपरा है उसे सीबीएसई जैसी आधुनिक शिक्षा से जोड़कर गुरुदेव ने नई पीढ़ी में संस्कार सृजन का एक अनुकरणीय बीड़ा उठाया है। ये यज्ञ ऐसे ही आगे बढ़ता रहे। महोत्सव समिति संरक्षक एवं रतलाम विधायक कश्यप ने कहा आत्म उत्थान के साथ धर्म शिक्षा का ये तीर्थ मालवा के लिए बड़ी सौगात है। आज के दौर में नई पीढ़ी में अच्छी शिक्षा के साथ संस्कारों का बीजारोपण अत्यंत आवश्यक है। सही हमारी संस्कृति व प्राचीन विरासत अभिसिंचित होगी।
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