
हर पल खौफ मौत का सब पर,देखो ये कैसा दौर आया
हवा भी कातिल इन्सान भी कातिल माहौल ये कातिल हो आया !!
मौत के सीजन में भी लोग
व्यापर हवा का कर रहे
ब्लेक में बेच-बेच शैलेन्डर बस अपनी जेबे भर रहे !!
चारो ओर तबाही से भी
कातिल इन्सान ना डर रहा
क्यों ये वो भूल गया परिवार तो उसका भी है,
बावजूद इन सबके ,सौदा अंगो का कर रहा !!
समझाने की खातिर ईश्वर ने खेल खेला है,
ना कुछ तेरा ना कुछ मेरा,दुनियां दो दिन का मेला है!
अगर आज ना समझे,तो फिर, ये कभी समझ नहीं पाएगें,
जिस दिन सामना होगा ईश्वर से,ना जाने कैसे नजरे मिलाएगें !!
मचा रखा था आंतक,धरती पर कुछ इन्सानो ने,
आज खुदा ने बता दिया जमीं कम पड़ रही दफनाने में,
ससांर का राजा सिर्फ वही,आज वक्त ने समझाया !!
हवा भी कातिल,इन्सान भी कातिल माहौल ये कातिल हो आया !!
