
शिवरात्रि के शुभ पर्व पर फुलसन्दा आश्रम के ऋषि सत्पुरुष बाबा फुलसन्दे वालों ने मंत्र एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा का उद्घोष करते हुए कहा कि मैं आज तुम्हें वो महादेव शिव के 77 ज्ञान सूत्र के बारे में बताता हूं जो उन्होंने अपने समय में वे सूत्र एक पत्थर पर एक शिल्पी से खुदवाये थे। उसका नाम कनक शिल्पी था महादेव शिव ने शिल्पी से मुस्कुराते हुए कहा कि तुम ज्ञान का प्रथम सूत्र लिखो
नंबर 1- चैतन्य आत्मा यदि चैतन्य तत्व ही आत्मा है शरीर का आधार लेकर व्यक्त होने वाले विराट मस्तिष्क में स्वयं भाव उत्पन्न होने लगते हैं। मस्तिष्क की चेतना ही आत्मा है सारे जगत में जो चैतन्य तत्व है वो ही आत्मा है। तुम शरीर नहीं आत्मा हो यह जानना सबसे पहले ज्ञान है। यह आत्मा ईश्वर का प्रकाश है जो कभी नष्ट नहीं होता शरीर मरने के बाद भी यह आत्मा नहीं मरती है यह शिव ज्ञान का प्रथम सूत्र है
2- ज्ञान बंधन यानि मनुष्य का अल्प ज्ञान बंधन का कारण है तोते की तरह पढ़े हुए धर्म शास्त्रों के आधार पर कथा करते रहते हैं पर उनको आत्मा का सही ज्ञान नहीं होता। वह अपने को ज्ञानी मानकर अहंकार से भर जाते हैं ये ही बंधन है ये ज्ञान का अभिमान ही ज्ञानी पुरषों को बंधन में डाल देता है यह शिव ज्ञान का दूसरा सूत्र है
3- योनि वर्ग: कला शारीरिक यानि परमात्मा की महान शक्ति का छोटा अंश है यह जीव और उसी का विस्तार है यह संसार हमें ऐसा जानना चाहिए जैसा मनुष्य सोचता रहता है वह वैसा ही बन जाता है। स्वभाव से ही वह देवता, मनुष्य या पशु जैसा बन जाता है यह ज्ञान का तीसरा सूत्र है। फुलसन्दा आश्रम में बाबा फुलसन्दे वालों ने निशुल्क कावड़ती शिविर लगातार पांच दिन जारी रहा जिसमें बाबा फुलसन्दे वालों ने स्वयं आश्रम में कांवड़तीयों को भोजन प्रसाद वितरित किया और बताया कि हे कावड़तीयों तुम “बोल बम नहीं” तुम “बोल ब्रह्म” कहो यही शुद्ध रूप है आश्रम की तरफ से सेवादार रहे दानी जी, धनपति जी, राहुल देवता जी, ब्रह्मदत्त शर्मा, सुमन चौहान, गरुण जी, वरुण जी व काफी सत्संगियों ने कावड़तीयों की सेवा की।
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