बहुत खूबसूरत हो तुम,
दुनिया से परे एक हसीन कल्पना हो तुम,
हर कोई समझ ना सके
वो बेहतरीन रचना हो तुम,
मेरे अल्फ़ाज़,
मेरी हँसी,
मेरी मासूमियत
और मेरे एकांत का सार हो तुम,
सच कहूँ “ऐ खूबसूरत ज़िंदगी” बाकमाल हो तुम,
हर बार अधूरी रह जाये,
साँसों में उलझती,
एक बेचैनी,
ना मुकम्मल होने वाली आस हो तुम,
सच में बहुत खूबसूरत और बाकमाल हो तुम,
मेरी ज़िंदगी का सार हो तुम,
तुम्हारे बिना
ये “आरती” आरती-सी ना लगे
कुछ इस कदर ख़ास हो तुम,
एक परवाज़
एक मन्नत
और
सबसे अज़ीज़
दुनिया की अब्सार में अज़ान हो तुम।।
-आरती वत्स
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