आँखें जो उठाए तो मोहब्बत का गुमाँ हो
नजरें जो झुकाए तो शिकस्त सी लगे
“मैं हिमाचल प्रदेश हूँ
नदियाँ पहाड़ हैं शान मेरी
मैं हरा भरा सा एक प्रदेश हूँ
देवभूमि सब कहते मुझे
मैं हिमाचल प्रदेश हूँ “
खो रही अब पहचान मेरी
कटते पेड़ ले रहे जान मेरी
अब चंद वर्षों का बचा खेल हूँ
मैं हिमाचल प्रदेश हूँ
ये जो नोच नोच मुझे खा रहे
ये सब इंसान हैं कातिल मेरे
इनकी महत्वाकांक्षा की चढ़ती भेंट हूं
मैं हिमाचल प्रदेश हूँ
कहीं मेरे पहाडों को काट रहे
कहीं मेरी नदियों को बाँट रहे
अब बन रहा मैं बंजर खेत हूँ
मैं हिमाचल प्रदेश हूँ
अपनी बदहाली पर रो रहा हूँ
तुम इंसानों की खबाहिशें ढो रहा हूँ
मेरी नदियाँ नाले सब सूख रहे
पल-पल मुझे सब कोस रहे
अब तो रूक जाओ मैं कह रहा हूँ
बख्श जो मुझको कब से सह रहा हूँ
अब बचा लो मुझे जितना बचा शेष हूँ
मैं तुम्हारा अपना हिमाचल प्रदेश हूँ
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