डॉक्टर दीपिका माहेश्वरी ‘सुमन'(अहंकारा) द्वारा आज ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन सुप्रसिद्ध मंच सुमन साहित्यिक परी के फेसबुक पटल पर किया गया । जिसमें देश- प्रदेश के मशहूर कवि कवयित्रियों ने भाग लिया और रचना पाठ किया । कार्यक्रम का आयोजन व संचालन स्वयं दीपिका माहेश्वरी सुमन द्वारा किया गया । कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना द्वारा किया गया । मुरादाबाद के प्रख्यात शायर राजीव प्रखर सक्सैना ने रचना प्रस्तुत करते हुए कहा, जारी रखने के लिए, प्रेम भरे वो सत्र। चल दोनों मिलकर पढ़ें, आज पुराने पत्र।। मन की ऑंखें खोल कर, देख सके तो देख। कोई है जो रच रहा, कर्मों के अभिलेख।। काव्य गोष्ठी की आयोजिका और संचालिका डॉ.दीपिका माहेश्वरी’सुमन'(अहंकारा) ने कहा,रिमझिम रिमझिम बरसता, है सावन का मास । रोम -रोम पुलकित हुआ, कान्हा खेलें रास ॥ गोविंद रस्तौगी ने कहा,
वेदना याद बन कर प्रखर हो गई । प्रीत ने छू दिया तो मुखर हो गई । भाव को शब्द श्रृंगार देना पड़ा । इसलिए गीत को जन्म लेना पड़ा।। -सच्चिदानन्द तिवारी शलभ ने कहा,तुम्हारे प्यार का पावस मुझे घनश्याम कर देगा । तुम्हें राधा बना देगा, बहुत बदनाम कर देगा ।। हसनपुर (अमरोहा) के मशहूर शायर मुजाहिद चौधरी ने कहा,
*अब कहीं जाने की हसरत दिल में बाकी ही नहीं । हां अगर तुम चल सको तो तूर तक ले कर चलो ।। कोई चाहत कोई ख्वाहिश और तमन्ना कुछ नहीं ।रंजिशों से नफरतों से दूर तक ले कर चलो ।। राव शिव पाल सिंह ने कहा “चरित्र के दोहरे मानदंड”
आंचल में दूध और आंखों में पानी भी है अब कम, चूंकि इस दायरे से कभी बाहर ना निकल पाए हम । ना आठ की ना साठ की । महफूज अब नर पिसाच से ।। चंद्र देव दीक्षित ने कहा,शब्दों में है छूरी कांटे कभी न इनमें धार धरो। घाव नहीं भरते हैं इनके, सोच समझकर वार करो ।। इसप्रकार सभी का धन्यवाद देते हुए अंत में गोष्ठी का समापन बड़े आनंद और उल्लास से किया गया
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