ममता के प्रहरी
1 अगर यह दिल धड़कता है, उसी की याद आती है।
दिखा कर प्यार अधरों पर, मधुर मुस्कान लाती है।
सिखाया दर्द में जीना, बता कर मर्म जीवन का,
दिया जो प्यार ममता से, वही बस आज थाती है।।
2 कभी तुम वेदना सहकर, कभी तुम चेतना बनकर।
सजाती ज़िन्दगी मेरी, सदा तुम प्रेरणा बनकर।
किया है प्रीति की धुन से, हृदय के तार को झंकृत,
कभी ममता भरा आँचल, कभी सम्वेदना बनकर।
3 गरजते थे जहाँ बादल, छिपा लेती वो दामन में।
लगाती बढ़ के सीने से, गिरा मैं जब भी आँगन में।
मगर वह रूठ कर मुझसे, छिपी है आज तारों में,
समय वह स्वप्न लगता जो, बिताया गोद पावन में।
4 शिकायत की नहीं उसने, बगावत की न तैयारी।
निगाहें बात करती हैं, अदा माँ की बड़ी प्यारी।
सदा वह मौन ही रहकर, सिखाती राह जीने की,
जरा सी मुस्कुराहट में, छिपा ली ज़िन्दगी सारी।
5 बसा कर गर्भ में अपनी, सँवारा नर्म आँवल में।
पिलाया दूध छाती का, छिपाकर शर्म आँचल में।
हमारी हर शरारत पर, मिली मुस्कान ही केवल,
सिखाया मर्म जीवन का, सजाकर कर्म प्राँजल में।
6 कभी लोरी सुनाती हो, कभी सपने सजाती हो।
बुला कर चाँद मामा को, कटोरे में दिखाती हो।
सितारे आ गए देखो, सिमट कर पाक दामन में,
बुलाकर चन्द परियों को, सदा मुझको सुलाती हो।
राशन सेवा के साथ साथ अब रमनप्रीत कौर घर बैठे ही बुजुर्गों का बड़ा रही मनोबल – करोना महामारी के समय में रमनप्रीत द्वारा सीनियर सिटीजन को मोटिवेट करने के लिए मनवीर कौर चैरिटेबल ट्रस्ट का इन्दु भूषण कोचगवे ji बहुत-बहुत धन्यवाद करते है