आज कल बाढ़ जगह-जगह पर अपना रौद्र रूप क्यों प्रकट कर रही है?
बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा आने का क्या कारण है?
क्या इसके लिए मनुष्य ही जिम्मेदार है?
नजीबाबाद। अध्यापिका एवं लेखिका पायल अग्रवाल ने बताया कि मनुष्य और प्रकृति का अटूट संबंध है। प्रकृति ही मनुष्य के जीवन का आधार है, तब भी मनुष्य अपनी स्वार्थपूर्ति और लोभ के कारण प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करने में लगा हुआ है। मनुष्य पेड़ -पौधों को काटने और वन्यजीवों के घर को उजाड़कर अपना घर, कारखाने और इमारतों का निर्माण करने में लगा हुआ है। प्रौद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए जंगलों की अंधाधुन कटाई हो रही है। जंगलों के कटने से प्राकृतिक संसाधनों की कमी हो रही है। प्रकृति के इन अंधाधुंध दुरुपयोग के कारण ही बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएं मनुष्य के सामने आ खड़ी हुई है।
प्रकृति अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए चीख-पुकार कर रही है ,तब भी मनुष्य उसकी चीख-पुकार को अनभिज्ञ करके प्राकृतिक संसाधनों के साथ खिलवाड़ कर रहा है। मनुष्य अपनी अधिक इच्छा के लिए प्रकृति का शोषण कर रहा है और पृथ्वी को उसकी सुंदरता से वंचित कर रहा है। समय हमें चेतावनी दे रहा है कि यदि हम इस विषय पर दृढ़ कदम नहीं उठाते हैं, तो वह दिन दूर नहीं जब इस धरती पर जीवन संभव नहीं होगा।
मनुष्य ही इन प्राकृतिक आपदाओं के लिए जिम्मेदार है। आज मनुष्य को प्रकृति की रक्षा के प्रति अपने दायित्व को समझना होगा ।उसे वन्य-जीवों और पेड़ – पौधों की रक्षा के लिए अपने कदम आगे बढ़ाने होंगे । मनुष्य को प्रकृति के संरक्षण के प्रति जागरूक और सचेत होना होगा। प्रकृति हमारी अनमोल संपत्ति है। मानव जीवन को बचाए रखने के लिए प्रकृति का शुद्ध रहना अति आवश्यक है। प्रकृति की रक्षा करना हमारा धर्म और जिम्मेदारी है।
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