जब देश मे लोकल बस्तुओँ के उपयोग करने की मुहिम चल रही है, तो हमे ये नही भूलना चाहिए, कि हर वर्ष हम करोड़ो रुपये टूरिज़्म के नाम पर बिदेशो में लुटाकर घर चले आते हैं….अगर ये पैसा हम भारत टूरिज्म पर खर्च करें, तो घर का पैसा घर मे रहेगा, दूसरा रेवन्यू के साथ साथ लाखों रोजगार भी बढेगे ….
लोकल टूरिज़्म से हमारा और हमारे बच्चों का, अपने इतिहास,अपनी।परम्पराओं का ज्ञान होगा व लगाव भी बढ़ेगा..जो कि एक मजबूत राष्ट्र के लिए बहुत जरूरी है…
कुछ लोग कहेंगे कि जो मजा ,नज़ारा बिदेशो में है, वो भारत मे कहाँ ?????
ये सिर्फ हमारी मानसिकता है, दरसल हमने भारत को सही देखा ही कहाँ है,या देखना ही नही चाह ,हमने 2-4 बड़े मेट्रो शहर देख लिए,तो हमे लगता है हमने भारत देख लिया ..
भारत मे देखने को इतना कुछ है, और उसे देखकर सीखने को इतना कुछ है कि बताना मुश्किल है….जिस भारत को हम देखना नही चाहते ,उसे देखने बिदेशो से लाखों पर्यटक हर वर्ष भारत आते हैं.
भारत के टूरिज्म की खास बजह ये है, की यंहा का 80% टूरिज्म ऐतिहासिक है, लोग दुनिया भर से हमारे इतिहास, हमारी परम्पराओं को देखने आते हैं,जो बिलुप्त होती जा रही है…..
उदाहरण – भारत से कई अमीर लोग ,इटली के वेनिस शहर को देखने जाते हैं, जो कि बहुत खूबसूरत है,जैसा कि फोटो में दिख रहा है, वेनिस शहर समुन्द्र के टापू पर बसा है,या यूँ कहूँ की शहर के चारो तरफ पानी ही पानी है.
वेनिस जंहा जाने आने घूमने का पूरा खर्चा करीब 3 से 4 लाख रुपये प्रति व्यक्ति आता है…इतना पैसा हम 3 दिन में इटली को देकर चले आते है….
जबकिं भारत का उदयपुर शहर जिसे, venis of east की संज्ञा दी गयी है…किंयुकि वेनिस शहर भी पानी के बीच मे बसा है, हमारा उदयपुर भी पानी के बीच बसा है…..जो लोग उदयपुर जा चुके हैं,उनसे पूँछियेगा की हमारा भारत कैसा है
बस बात वही है, घर की मुर्गी दाल बराबर.
लेकिन भारत के इस उदयपुर में लाखों विदेशी पर्यटक हर वर्ष यंहा आते हैं, उदयपुर के लिए कहावत है कि, अगस्त से लेकर दिसम्बर तक यंहा होटल मिलना मुश्किल हो जाता है..इतने पर्यटक यंहा आते है…
इसलिए #राजन्य_क्रॉनिकल्स पेज की टीम इस मुद्दे को लगातार उठा रही है…
● हम मानते हैं,भारत मे टूरिज्म मंत्रालय थोड़ा कमजोर है, सरकारे सुस्त हैं, पर अगर हम तेजी से देशी पर्यटन पर रुख करें,तो हमारे यंहा भी व्यवस्था दुरुस्त होगीं….. किंयुकि सम्भावनाएं अपार हैं..
टूरिज्म सबसे ज्यादा रोजगार देता है,वो भी बिना किसी लागत के…
अब राजस्थान को ले लेते हैं, राजस्थान में रोजगार के लिए ज्यादा कुछ नही है, पूरा राजस्थान टूरिज्म से कमा रहा है, और खा रहा है.
राजस्थान के हर शहर में इतिहास है,ऐतिहासिक इमारते हैं, जंहा लाखो लोग ,हर वर्ष उसे देखने आते हैं, लोग आएंगे तो ट्रांसपोर्टर का काम बढेगा, लोग रुकेंगे तो होटल,लॉज का बिजनेस बढेगा, लोग खाएंगे तो रेस्टोरेंट, ढावा का बिजनेस बढेगा, फिर लोग लोकल में बनी बस्तुओँ को खरीदेंगे ,उससे व्यापार बढेगा…..मतलब टूरिज्म से एक रोजगार की पूरी चैन बन जाती है.
रिक्शा वाले से लेकर हवाई जहाज कम्पनियों का रोजगार जुड़ा है.. इस टूरिज्म से
चाय वाले से लेकर रेस्टोरेंट तक का रोजगार जुड़ा है,इस टूरिज्म से
पीजी से लेकर पांच सितारा होटल तक का रोजगार जुड़ा है ,इस टूरिज्म से…
● एक ऐसा उदाहरण उदाहरण देता हूँ,आपको भी अचम्भित कर देगा, राजस्थान का एक शहर है, #जैसलमेर वहां सिर्फ रेगिस्तान है,दूर दूर तक,ना कोई व्यवसाय ना ही कोई इंडस्ट्रीज…
पर उस शहर की किस्मत है कि वो इतिहास से जुड़ा है, वँहा के राजवंश ने उस रेगिस्तान में विशाल किले बनवाये, ऐतिहासिक मन्दिर बनवाये, यंहा तक कि पानी की झील भी बनवाई… वर्तमान में रेगिस्तान के इस कोहिनूर को लाखों लोग देखने आते हैं,जिसमे सबसे ज्यादा विदेशी पर्यटक होते हैं..
● आप हैरान होंगे सुनकर,जैसलमेर का टूरिज़्म रेवन्यू 500 करोड़ रुपये ,प्रति वर्ष का है..मतलब बिना कुछ किये जैसलमेर में रह रहे करीब 1 लाख लोगों का जीबन यापन आराम से होता है.यंही टूरिस्ट आकर जैसलमेर के पास रेगिस्तान(डिजर्ट) में जाकर केमिल सफारी, डिजर्ट टेंट का आनन्द लेते हैं, जिससे जैसलमेर के आस पास के गांव वालों को भी रोजगार प्रदान होता है…..
● जैसलमेर में हर साल 5 लाख लोग घूमने आते हैं, जो यंहा ,रहना,खाना,आना,जाना,घूमना,खरी दने पर 500 करोड़ का रेवन्यू देकर जाते है…..
अब आप समझे टूरिज्म कैसे काम करता है…..
इसलिए हमें ,विदेश ना जाकर भारत के टूरिज्म।को बढ़ावा देना चाहिये, जिससे हमारी अर्थव्यवस्था भी मजबूत हो और हम अपने इतिहास व संस्क्रति से जुड़े भी रहें….
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