कुँवर जितेंद्र प्रताप सिंह “सुरवर” ने मलखाचक (दिघवारा) सारण में किया लोकमान्य पुस्तकालय का लोकार्पण
कहा मिट्टी का कर्ज उतारने के लिए किया गाँव में पुस्कालय की स्थापना।
मलकाचक (दिघवारा) सारण : कुँवर जितेंद्र सारण जिला के एक शाही परिवार के रुप में जाने जाते है, अंग्रेजी हुकूमत के दाँत खट्टे करने की बात हो या समाज सेवा, इस परिवार का सदा ही क्षेत्र की जनता या बिहार के लिए एक अतुलनीय योगदान रहा है। स्वतंत्रता संग्राम में राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी भी बिहार प्रवास के दौरान दो बार क्रमशः 1925 व 1934 में यहाँ रहकर स्वतंत्रता संग्राम की अलख जगाई थी। यहाँ के ग्रामीणों की बात की जाए तो उस समय सूत काटकर 40000 से भी उपर रुपये यहाँ के ग्रामीणों ने स्वतंत्रता आंदोलन में गाँधी जी का सहयोग किया था।
अपने पूर्वजों के पद्चिन्हों पर चलते हुए कुँवर जीतेंद्र प्रताप सिंह “सुरवर” ने मलखाचक गाँव में एक भव्य पुस्तकालय की स्थापना की है, जहाँ घर-घर जाकर उनके द्वारा लोगों से पुस्तकें इकट्ठा कर यहाँ के छात्रों के लिए एक विशेष पहल की है। जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि घर-घर जाकर पुस्तकें इकट्ठा करना कितना कठिन था, तो बड़ी सौम्यता से उनका जबाब आया कि पुस्तकें इकट्ठा करना महत्वपूर्ण नहीं है, लेकिन उन पुस्तकों का उपयोग जिन जरुरतमंदों के लिए किया जा रहा है वो महत्वपूर्ण है। कुँवर जितेंद्र ने अभी तक लगभग 1000 से भी ज्यादा पुस्तकें इस पुस्तकालय को समर्पित किया है, और उन्होंने कहा कि इस मिट्टी के उपकार के समक्ष ये कुछ भी नहीं। आपको बताते चलें कि मलखाचक गाँव ही नहीं बल्कि आसपास के गाँव के छात्र-छात्राओं से लेकर बुजुर्ग भी यहाँ पुस्तकालय में पढने के लिए अपनी जिज्ञासा दिखा रहे हैं एवं अपना नामांकन करवा रहे हैं।
कुँवर ने पुस्तकालय के माध्यम से लोगों में ये संदेश दिया है कि “पंख हमारे, उड़ान आपकी”।
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