
ईमान और एहतिसाब के साथ रोज़ा रखे, कारी याहया अंसारी
नजीबाबाद । जोगीरमपुरी निवासी पत्रकार कारी याहया अंसारी ने कहा रमज़ानुल मुबारक का बा बरकत महीना शुरू हो रहा है इस महीने के बहुत से फज़ाइल हदीस की किताबों में मौजूद हैं, पत्रकार कारी याहया अंसारी ने बताया की हमारे नबी ने फरमाया जो शख्स रमज़ानुल मुबारक के महीने में ईमान और एहतिसाब के साथ रोज़ा रखेगा उसके पिछले गुनाह माफ हो जाएंगे, और जो शख्स ईमान और एहतिसाब के साथ रमज़ान के महीने में रात को कयाम करेगा यानी इबादत करेगा तरावीह पढ़ेगा उसके पिछले गुनाह माफ हो जाएंगे अल्लाह के नबी ने सिर्फ रोज़ा रखने और रात को इबादत करने पर पिछले गुनाहों के माफी की खुशखबरी सुनाई, लेकिन साथ ही दो बातों की शर्त भी लगा दी ईमान और एहतिसाब, ईमान का मतलब है अल्लाह के वादों पर यकीन करते हुए रोज़ा रखना, जो अल्लाह ने फरमाया है वह बिल्कुल बरहक है उसमें शक और शुबेह की गुंजाइश नहीं है, और एहतिसाब का मतलब इताअ तो फरमाबरदारी के कामों की अंजाम दही के वक़्त अल्लाह की रज़ा का इरादा करना, और उसका सवाब तलब करना, जैसे हम नमाज़ के लिए खड़े हों तो पूरी नमाज़ के अंदर नमाज़ का ध्यान रहे हर वक्त यह बात मुस्तहज़र रहे कि में अल्लाह के सामने खड़ा हुआ हूं, इसी तरह रोजे के अंदर इसतेहजार का मतलब यह है कि हमारा रोज़ा अल्लाह के हुक्म पर अपनी ख्वाहिशात और ज़रूरतों को छोड़कर अल्लाह को राजी रखने और आखिरत के अज़रो सवाब को हासिल करने के लिए रोज़ा रख रहे हैं रोज़ा हमारे दिल की सफाई के लिए हमें पाक करने के लिए हमारे कलब की गंदगी को दूर करने के लिए और हमें मुक्तकी और परहेज़ गार बनाने के लिए फर्ज़ किया गया है,जैसा के अल्लाह खुद कुराने पाक में इरशाद फरमाते है ईमान वालों तुम पर रोजे फ़र्ज़ किए गए जिस तरह तुम से पहले लोगों पर फर्ज़ किए गए थे ताकि तुम तक़वा इख्तियार करो।
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