Home / Latest News / संतानहीनता और विज्ञान, दीप्ती डांगे, मुम्बई 

संतानहीनता और विज्ञान, दीप्ती डांगे, मुम्बई 


हमारे देश मे घर के बड़े बूड़े हर नए नवेले शादीशुदा जोड़े को “दूधो नहाओ फूलो फलो” आशीर्वाद देते है जिसका अर्थ होता हैं दूध से नहाना और पोते पोती के द्वारा सेवा का सुख भोगना। जिस घर में बच्चों की किलकारियाँ गूँजती है वह घर खुशियों से चहक उठता है।क्योंकि ऐसा माना जाता है कि बच्चे भगवान का रूप होते है।माँ बनना एक स्त्री के जीवन का सबसे सुखद अहसास होता हैं व सबसे अद्भुत क्षण होता है।हर स्त्री को जीवन की सबसे बड़ी ख़ुशी तब मिलती है जब उसे पता चलता है की वह “माँ बनने वाली है”, ।
लेकिन मातृत्व सुख हर स्त्री को नही मिल पाता और ये एक समस्या समय के साथ ओर गंभीर होती जा रही है। कुछ डॉक्टरस का मानना है इनफर्टिलिटी इक्कसवीं सदी की बड़ी समस्या बन गयी है।हमारे समाज मे कई सदियों से ये भ्रांति फैली है कि बांझपन सिर्फ नारी में कुछ कमी के कारण होती है और मर्द होने का मतलब है कि वे फर्टाइल हैं उनमे कोई कमी नही हो सकती। इसीलिए वे इन्फर्टिलिटी की जांच कराने से हिचकिचाते हैं। लेकिन सच तो यह है कि स्पर्म काउंट और नपुंसकता का आपस में कोई संबंध नहीं है।वर्तमान समय की बात करें तो, लगभग 56% दंपति की संतानहीनता का कारण पुरुष बांझपन है। गर्भाधान और बांझपन के लिए पुरुष और महिला दोनों समान जिम्मेदारी निभाते हैं।और ये समस्या हमेशा से महिला और पुरुष दोनों में ही पाई जाती है। एक तिहाई मामलों में अनुर्वरता स्त्री के कारण होती है। दूसरे एक तिहाई में पुरूष के कारण होती है। शेष एक तिहाई में स्त्री और पुरुष के मिले जुले कारणों से या अज्ञात कारणों से होती है।
बाँझपन का कारण हमारा खान पान, वातावरण, पारिवारिक कारण और सबसे बड़ा कारण  “स्ट्रेस” है जिससे आज के समय में हर दूसरा व्यक्ति जूझ रहा है।
बाँझपन होने का मतलब महिलाओं में फैलोपियन ट्यूब यानी गर्भनलियो का बंद होना, यूट्रस संबंधी समस्याएं जैसे छोटा गर्भाशय, गांठ, रसौली/कैंसर या टीबी, एग का नहीं बनना, पीसीओडी (पॉलिसिस्टिक ओवरी डीजीजेज), ल्यूकोरिया, पुरुषों में बांझपन का मुख्य कारण शुक्राणु की ख़राब गुणवत्ता यानि क्वालिटी और कम संख्या,जन्मजात या अनुवांशिक असामान्यताएं,शुक्राणु की गतिशीलता,वृषण का अधिक गर्म होना
अन्य कारण जिनके कारण दंपति निसंतान रहते है डायबीटीज, अनीमिया, मोटापा,हृदय से संबंधित रोग आदि है।
अगर किसी दंपति को गर्भधारण करने में परेशानी होती है।तो उनको चिकित्सीय अर्थात डॉक्टरों की सलाह लेनी चाहिए।क्योंकि आज विज्ञान में इनफर्टिलिटी का इलाज संभव है। चिकित्सा विज्ञान मे बहुत सी तकनीकों और उपचारों से असंभव को संभव बनाया है और आई वी एफ़ उनमे से एक बहुत प्रभावशाली तकनीक है जो निसंतान दंपत्तियों के लिए एक वरदान बन गयी है।
यूरोपियन सोसाइटी ऑफ़ ह्यूमन रिप्रोडक्शन एंड एम्ब्रायोलॉजी के अनुसार, दुनिया भर में अब तक 8 मिलियन से अधिक आईवीएफ संताने पैदा हो चुकी हैं।पहली आईवीएफ संतान 1978 में पैदा हुई थी इसके बाद से आईवीएफ में कई नई तकनीकें विकसित हुई है जो ओर कारगर साबित हो रही है जिससे  सक्सेस रेट भी बड़ा है।
*इन विट्रो फर्टिलाईजेशन (आईवीएफ) क्या है?*
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन को हम टेस्ट ट्यूब बेबी के नाम से भी जानते हैं ।जो एक जैविक प्रक्रिया है जो एक लैब में की जाती है। सरल शब्दों में, इन विट्रो फर्टिलाइजेशन एक फर्टिलिटी ट्रीटमेंट है, जहाँ शुक्राणु और अंडों को भ्रूण बनाने के लिए एक लैब में मिलाया जाता है, फिर गर्भाशय में रखा जाता है ताकि आईवीएफ भ्रूण से गर्भधारण करवाया जा सके। आईवीएफ प्रक्रिया का सक्सेस रेट काफी अधिक है । इसके प्रथम प्रयास में इसकी सफलता दर लगभग 50 से 60% के बीच होने की संभावना होती है ।
ये एक सुरक्षित और प्रभावी उपचार है।क्योंकि आईवीएफ में बहुत कम जोखिम होता है या यूँ कहें कि न जोखिम के बराबर होता है।
*डोनर आई वी एफ*
यह महिलाओं में कृत्रिम गर्भाधान की सबसे प्रभावी तकनीक मानी जाती है। आमतौर पर इसका प्रयोग तब करते हैं,अगर दंपत्ति के शुक्राणु या अंडों की गुणवत्ता ख़राब हो या फैलोपियन ट्यूब यानी गर्भनलियो का बंद हो या
ऐसी जन्मजात बीमारी होती है जिसका आगे बच्चे को भी लग जाने का भय होता है।
इस प्रक्रिया में दूसरी महिलाओं द्वारा  दिए गए अण्डों, या किसी अन्य पुरुष द्वारा दिए गए वीर्य या फ्रोजन एग का उपयोग भी किया जाता है। ये प्रक्रिया भी लैब मे की जाती है। सामान्य विट्रो फर्टिलाईजेशन (आईवीएफ)
की तरह।
*सरोगेसी (गोद ली हुई कोख)*
सरोगेसी का मतलब है किसी ओर की कोख से अपने बच्चे को जन्म देना। अगर कोई पति-पत्नी बच्चे को जन्म नहीं दे पा रहे हैं या महिला अपने फिगर को लेकर बच्चे पैदा नहीं करना चाहतीं, या महिला के लाइफ स्टाइल की वजह से बच्चा पैदा नही कर सकती, या कुछ महिलाएं या पुरुष  सिंगल माता या पिता बनना चाहते है, तो वो सरोगेसी की प्रक्रिया अपनाते है । आजकल ये प्रक्रिया  सेलिब्रिटीज मे बहुत प्रचलित है।
ये एक अनुबंध होता है।जिसमें सरोगेट माँ शिशु के जन्म तक उसे अपनी कोख में रखती है और जन्म के बाद माता-पिता को सौंप देती है। इसमें भ्रूण को लैब के अंदर फर्टिलाइज़्ड किया जाता है और सरोगेट मदर के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है। शिशु का सरोगेट माता के साथ कोई आनुवंशिक सम्बन्ध नहीं होता है।
*एग फ्रीजिंग*
एग फ्रीजिंग या औसाइट क्रायोप्रिजर्वेशन,
महिलाओं के स्वस्थ और अंडे को भविष्य में सुरक्षित संगहृत का एक तरीका है।डॉ जतिन शाह, (आई वी एफ़ विशेषज्ञ), मुम्बई के अनुसार
“एग फ्रीजिंग की अवधारणा भारत में धीरे-धीरे बढ़ रही है।आज की मोडर्न लाइफ स्टाइल के चलते और महिलाएं अपने कैरियर के कारण या अन्य कारण से जल्दी शादी नही करना चाहती या परिवार बढ़ाना नही चाहती इस कारण वो  महिलाएं 20 या 30 वर्ष की उम्र में अपने अंडों को फ्रीज करने का विकल्प चुन रही है।आज  सेलिब्रिटीज,हाई प्रोफाइल कैरियर वीमेन  बिज़नेस विमेन अपने एग को फ्रीज करवा रही है ताकि भविष्य में जब वो अपने परिवार को बढ़ाने की सोचे तो प्रजनन के लिए उनका उपयोग किया जाये। बढ़ती उम्र के साथ- साथ महिलाओं की प्रजनन क्षमता घटती जाती है।और प्राकृतिक एग की गुणवत्ता में कमी आ जाती है।और फ्रीजिंग एग उनकी जैविक गति को बाधित कर, प्रजनन क्षमता को बढ़ाता है।”
एग फ्रीजिंग उन महिलाओं के वरदान है जो अधिक उम्र में माँ बनने की ख्वाहिश रखती हैं।
इस प्रक्रिया के तहत छोटी आयु में महिलाओं के अंडे को इकट्ठा किया जाता है और फ्रीज करते है, फिर बाद में उन्हें पिघलाते है ताकि उन्हें प्रजनन उपचार में इस्तेमाल किया जा सके।
माता पिता बनना हर दंपति का सपना होता है और बड़े बूड़ो को वंशावली बढ़ाने की जिम्मेदारी जो वो अपने बच्चों को सौपते लेकिन हर दंपत्ति का ये सपना पूरा नही हो पाता और वो निसंतान रह जाते है लेकिन आधुनिक युग मे विज्ञान ने  IVF यानी इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन तकनीक से बहुत हद्द तक इस समस्या का निराकरण किया है जो एक चमत्कार है और  जिसने नि:संतान दंपतियों को एक नई आशा की किरण दिखाई है।
(RIHAN ANSARI 9927141966)

About Rihan Ansari

Check Also

I LOST YOU

🔊 पोस्ट को सुनें I LOST YOU I lost you once; I lost me, too, …

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Best WordPress Developer in Lucknow | Best Divorce Lawyer in Lucknow | Best Advocate for Divorce in Lucknow