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टॉक शो भारत की बेटी के साथ


 
पॉज़िटिव थॉट्स कंसल्टिंग एंड ट्रेनिंग सॉल्यूशंस, अरेबिका कॉफ़ी ब्लूम्स नामक टॉक सीरीज़ की अपनी 17 वीं कड़ी को 15 सितंबर21 को शाम 6:00 बजे IST ज़ूम के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। और साथ ही “पॉज़िटिव थॉट्स” के आधिकारिक पेज पर “फेसबुक लाइव” पर प्रदर्शित किया गया है।
“पॉजिटिव थॉट्स फ़ैमिली” अखिल भारतीय और लगभग 40 विश्वव्यापी देशों का एक वैश्विक समुदाय है, जो ब्रांड्स/संगठनों के बीच की खाई को सीखने, जोड़ने, साझा करने और पाटने के मिशन पर है और “स्ट्रेस-फ्री एजुकेशन और जिंदगी” के लिए सशक्तिकरण के मिशन पर काम करता है।
यह अभिजात वर्ग कार्यकारी समुदाय दुनिया भर के सभी समान विचारधारा वाले सकारात्मक वक्ताओं, प्रशिक्षकों, प्रशिक्षकों, शिक्षकों, चिकित्सकों, लेखकों और उद्यमियों के लिए है, जो एक-दूसरे को सशक्त बनाकर अपनी सफलताओं को साझा करना, प्रेरित करना और एक-दूसरे की मदद करना चाहते हैं।
 कहते हैं, “अगर मंजूर हो खुदा को रोशनी तो आंधियों में भी चिराग जलते हैं।”
 और इस बात की जीती जागती मिसाल हैं आज की मेहमान नाज़ पटेल। नाज़, मुंबई में जन्मी और हरियाणा में एक अकेली (single mother) माँ द्वारा पली-बढ़ी लड़की हैं , वह एक स्कूल ड्रॉपआउट है क्योंकि उनकी  माँ ने उसे स्कूल से दो लड़कियों के अपहरण के बाद स्कूल नहीं जाने दिया, उनकी मां एक प्रोटेक्टिव मां रही है। हालाँकि, नाज़ बहुत ही कम उम्र में एक उद्देमी बनने के सफर पर निकल पड़ीं। उन्होंने अपना खुद का फैशन बुटीक तब तक चलाया, जब तक वो  अपने पारसी पिता की तलाश में 15 साल की उम्र में मुंबई नहीं चली गई। जीवित रहने के लिए उसने एक पुलिस मुखबिर सहित कई अजीब काम किए, रहने के लिए छत और भोजन के बदले, उन्हें मकान मालकिन के घर में घर का काम करना पड़ा, जब तक कि उन्हें  इस बड़े शहर में कुछ अच्छा स्थान नहीं मिला। उन्हों ने उन सभी चुनौतियों को पार कर लिया है जो जीवन ने उनके ऊपर फेंकी हैं और उन्होंने  दुनिया को अपनी रफ़्तार में ले लिया है।
 अपने परेशान बचपन और चुनौतियों से भरे जीवन के बावजूद वह सकारात्मकता से भरी है और समाज के सबसे कमजोर वर्ग के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए दृढ़ है। सामाजिक सेवाओं में एक दशक से अधिक के अनुभव के साथ एक प्रतिबद्ध सामाजिक कार्यकर्ता; अवेस्ता फाउंडेशन के संस्थापक और निदेशक: CIN- U85100MH2020NPL340155 (www.avestafoundation.org) जो निर्जन वरिष्ठ नागरिकों को आश्रय, भोजन, चिकित्सा देखभाल, व्यक्तिगत देखभाल और ध्यान प्रदान करने और विशेष रूप से समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्ग के बचाव और पुनर्वास के लिए प्रतिबद्ध है। महिलाएं और बच्चे। वह यह सुनिश्चित करने के मिशन पर है कि वरिष्ठ नागरिक विशेष रूप से अपने प्रियजनों द्वारा अपने बुढ़ापे  में त्याग दिए गए हैं, जो  अब यहां गरिमा और आराम के साथ रहते हैं।
 उन्होंने 15 बुजुर्गों को ज्यादातर सड़क के किनारे से गोद लिया है और रोजाना कई अकेले वरिष्ठ नागरिकों को खाना खिलाती हैं। उसने कई लोगों को संकट की स्थिति से भी बचाया है। यहां तक कि लॉकडाउन की अवधि के दौरान जब पूरे देश ने घर के अंदर रहने का फैसला किया, उन्होंने प्रवासी श्रमिकों को पका हुआ भोजन और मुफ्त मासिक प्रदान करने के अलावा आवश्यक वस्तुओं विशेष रूप से दूध और दवाओं की घर-घर तक डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए अपनी टीम के साथ कदम रखा। वंचित परिवारों को राशन हाल ही में, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उन्हें गलत तरीके से ऑनलाइन ट्रोलिंग का शिकार होना पड़ा क्योंकि उनकी शिकायतों के कारण मिंत्रा के ब्रांड लोगो में संशोधन किया गया था। उन्हें नामों से पुकारा जाता था और “कॉर्पोरेटों के खिलाफ कार्यकर्ता” के रूप में ब्रांडेड किया जाता था। यह घटना कई हफ्तों तक न्यूज पोर्टल्स और टैब्लॉयड्स पर वायरल रही। मिंत्रा लोगो के साथ उनका नाम गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च किया जाने वाला आइटम था।
 साक्षात्कार का संचालन सुश्री उपाली अपराजिता  (अमेजन प्रोग्राम लीड) द्वारा किया गया है।
बात चीत के क्रम में नाज़ ने बताया कि उनका जीवन हमेशा चुनौतियों से भरा रहा है लेकिन उन्होने अपनी हिम्मत कभी भी कम नहीं होने दिया। हर बदलते दिन के साथ वो मजबूत इरादों से लबरेज़ हो कर आगे बढ़ती रही हैं।
हादसों ने उनका हौसला बढ़ाया है। निस्वार्थ भाव से सेवा करना ही उनके जीवन का उद्देश बन चुका है।
उनको सुनते हुए हर कोई भावनात्मक रूप से जुड़ा महसूस कर रहा था। लोगों के सवाल के जवाब देते हुए नाज़ ने बताया, कि इंसान मे इंसानियत होना जरूरी है। आज के समय हम अपने जीवन की जरूरतों में और अपनी महत्वाकांक्षाओं में इतना उलझ गए हैं कि अपनो से भी दूर हो रहे हैं। और मात्र एक मशीनी युग के मशीनी मानव बन कर रह गए हैं। जरूरत है तो अपने अंदर के इंसान को जगा कर रखने की।
 अंत में श्रीमती इना सिंह और सुश्री सुप्रिया कुमारवेलन ने सकारात्मक विचारों के कार्यक्रम समन्वयक ने निमंत्रण स्वीकार करने के लिए नाज़ का आभार व्यक्त किया। डॉ गौरव शर्मा ने भी नाज़ और उपाली अपराजिता के प्रति आभार व्यक्त किया।
 उन्होंने कहा, “आपके बहुमूल्य समय के लिए और हमें इतना प्रेरक, अविश्वसनीय, अंतर्दृष्टिपूर्ण और दिलचस्प सत्र देने के लिए धन्यवाद नाज़ । हम आपके लिए धन्य हैं।
 हम सब को नाज़ पर नाज़ है।
 उन्हों ने उपाली अपराजिता को इतना ऊर्जावान और अद्भुत मॉडरेशन के लिए उनका आभार और धन्यवाद व्यक्त किया।
सत्र वास्तव में अविश्वसनीय, प्रेरक, अंतर्दृष्टिपूर्ण और रोचक था।
अंत में अतिथी,  मॉडरेटर , और कोऑर्डिनेटर को प्रमाणपत्र  द्वारा वस्तुतः धनयवाद और सम्मान प्रदान किया गया।
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