
पॉजिटिव थॉट के विचारधीन सकारात्म बीवीक पुंज गौरव शर्मा जी के अतुलनीय प्रयास के अंतर्गत थंडरबोल्ट की 13वीं कड़ी , 19 सितंबर 2021 को शाम 6:00 बजे ज़ूम के माध्यम से प्रस्तुत किया गया और साथ ही पॉजिटिव थॉट्स के आधिकारिक पेज पर फेसबुक लाइव पर प्रदर्शित किया गया। पॉजिटिव थॉट्स फैमिली अखिल भारतीय और लगभग 40 विश्वव्यापी देशों का वैश्विक समुदाय है जो ब्रांडस/ संगठनों के बीच की सकारात्मक विचारों को सांझा करने और पाटने के मिशन और स्टेटस फ्री एजुकेशन और जिंदगी के लिए सशक्तिकरण के मिशन पर काम करता है।

यह ऐसा कार्यकारी समुदाय है जो विश्व भर में सकारात्मक सोच रखने वाले वक्ताओं शिक्षकों ,चिकित्सकों लेखकों और उद्यमियों के लिए है जो एक दूसरे को सशक्त बनाकर अपनी सफलताओं को सांझा करते हुए एक दूसरे की मदद करते हैं।

पॉजिटिव थॉट के विचाराधीन सकारात्मक पुंज गौरव शर्मा जी के एक अतुलनीय प्रयास के माध्यम से ट्रेनर टिफनी एन्न एलिस ब्रेवर ने बच्चों तथा अभिभावकों के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए और बच्चों के व्यवहार को समझते हुए माता -पिता को किस प्रकार व्यवहार करना चाहिए ऐसे कई सुझाव दिए जो बच्चों और अभिभावकों के बीच में एक कड़ी का काम करके बच्चों की समस्याओं को समझा जा सकें।आदरणीय गौरव शर्मा जी ने इस पहल को फलीभूत करते हुए विश्व में भारत के गौरव को सच कर दिखाया है।

इस परिचर्चा में बच्चों के स्वभाव की व्यवहारिकता में उनके व्यवहार में ऐसे परिवर्तन क्यों आ रहा है इस ओर खास ध्यान देना चाहिए। उन कारणों को जानने की कोशिश करनी चाहिए जिन के कारण बच्चा इस प्रकार का व्यवहार कर रहा है । माता -पिता को उसके व्यवहार को समझना चाहिए ना कि उन पर चिल्लाना और उन पर गुस्सा करना चाहिए उसके व्यवहार में आयें ।इन परिवर्तनों को जानने की कोशिश करनी चाहिए उन्हें उत्साहित करना चाहिए ताकि वह अपने माता-पिता से बिना किसी झिझक के अपनी समस्या बता सके और उसका समाधान ले सकें।माता-पिता ऐसे होते हैं जो बच्चों को उत्साह से आगे बढ़ने की हिम्मत दे सकते हैं उसे बता सकते हैं कि तुम जीत जाओगे उसमें इतना तो साफ है कि उसका हमेशा सकारात्मक व्यवहार रहे हर चीज़ को वह सकारात्मक ढंग से देखें उसे इतना सहयोग दें कि वह सकारात्मक सोच की ओर बढ़ते हुए अपनी मेहनत का 100% दे सके अपने काम को किसी भी परिस्थिति में बच्चे का अन्य बच्चों के साथ तुलना नहीं करनी चाहिए इससे कई बार बच्चे में नकारात्मक भाव पैदा हो जाते हैं और वह अपनी क्षमता को निकाल नहीं पाते जो उसमें गुण है उन्हें अपने भीतर छुपा के रखते है जो उसके लिए हानिकारक होती है।
माता पिता और बच्चे के बीच एक आधारभूत रिश्ता होना चाहिए कि माता -पिता और बच्चे एक -दूसरे को समझने में और उनकी समस्याओं को बताने में झिझक महसूस ना करें। बच्चों के सामने कभी भी नकारात्मक सोच लेकर उन पर गुस्सा नहीं करना चाहिए और परिस्थितियों को समझते हुए उनका साथ देना चाहिए उन्हें कड़ी मेहनत के लिए प्रेरित करना चाहिए और ना कि दूसरे बच्चों के साथ उनका तुलना कर उन्हें भीतर से छोटा महसूस करवाना चाहिए ।उन्हें अपने बच्चों के प्रयासों की प्रशंसा करनी चाहिए अगर वह गलती भी करते हैं तो उन्हें यह कभी भी जताना नहीं चाहिए कि वह यहां गलत है उस गलती को सुधारने में उनका सहयोग करना चाहिए।
बच्चों के स्वभाव की व्यवहारिकता में उनके व्यवहार में ऐसे परिवर्तन क्यों आ रहा है इस ओर खास ध्यान देना चाहिए। उन कारणों को जानने की कोशिश करनी चाहिए जिन के कारण बच्चा इस प्रकार का व्यवहार कर रहा है । माता- पिता को उसके व्यवहार को समझना चाहिए नाकी उन पर चिल्लाना और उस पर गुस्सा करना चाहिए उसके व्यवहार में आई इन परिवर्तनों को जानने की कोशिश करनी चाहिए उसे उत्साहित करना चाहिए ताकि वह अपने माता-पिता से बिना किसी झिझक के अपनी समस्या बता सके और उसका समाधान ले पाए।

माता-पिता बच्चों को उत्साह से आगे बढ़ने की हिम्मत दे सकते हैं उसे बता सकते हैं कि तुम जीत जाओगे उनसे हमेशा सकारात्मक व्यवहार करें। हर चीज को वह सकारात्मक ढंग से देखें उसे इतना सहयोग दें कि वह मेहनत की ओर बढ़ते हुए अपने मेहनत का शत प्रतिशत दे सके अपने काम को किसी भी परिस्थिति में बच्चे का अन्य बच्चों के साथ तुलना नहीं करनी चाहिए इससे कई बार बच्चे में नकारात्मक भाव पैदा हो जाते हैं और वह अपनी क्षमता को निकाल नहीं पाते और जो अपना उसमें गुण है उन्हें छुपा के रखतें है जो उसके लिए हानिकारक होती है। अगर वह गलती भी करते हैं तो उन्हें यह कभी भी जताना नहीं चाहिए कि वह यहां गलत है उस गलती को सुधारने में उनका सहयोग करना चाहिए।
टिफनी ब्रेवर जो कि एक अभिभावक कोच के रूप में माता-पिता और बच्चों के बीच कड़ी का काम करते हुए एक मार्गदर्शक का काम करती है। महिलाओं के सशक्तिकरण को लेकर मार्गदर्शन करती है। अपने इस अधिवेशन में उन्होंने बताया कि अभिभावकों को अपनी सोच को सकारात्मक रखना चाहिए अगर सकारात्मक सोच रखेंगे तभी अपने बच्चों का बहुपक्षीय विकास कर सकते हैं और उनकी समस्या को अच्छी प्रकार से सुलझा सकते हैं और बताया कि बच्चों की हर परिस्थिति में सहयोग करना चाहिए ताकि वह अपने को कमजोर महसूस करते हुए गलत रास्ते पर ना चले जाएं उन्होंने वती पेरेंट्स और होम पैरेंट दोनों के विषय में और उनके सामने आने वाली समस्याओं को बताते हुए सुझाव दिए। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर माता-पिता और बच्चों के बीच वार्तालाप होता रहे तो बहुत सी ऐसी समस्याएं हैं जो स्वयं खत्म हो जाएंगी बड़े सुंदर तरीके से बताया कि आज ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से बहुत सी समस्याएं आ रही है माता-पिता को अपने काम की गाथा बच्चों की शिक्षा उनकी प्रतिदिन की प्रतिक्रियाओं संबंधी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है मेडिटेशन के द्वारा ही समस्याओं को दूर किया जा सकता है बच्चों और माता-पिता को इस हेतु प्रोत्साहित करना चाहिए कि वह समय मेडिटेशन में लगाए जिससे उन्हें शांति प्राप्त होगी और कई समस्याओं का हल निकल पाएगा ।माता-पिता को अपने काम और समस्याओं की झुंझलाहट पर गुस्सा बच्चे पर किसी भी अवस्था में नहीं निकालना चाहिए चाहे वह कितने ही अपने काम से परेशान हों लेकिन बच्चों के सामने इन परेशानियों को दिखाना नहीं चाहिए क्योंकि बच्चों में यह समझ नहीं होती और वह उससे और ज्यादा परेशान हो जाते हैं। माता-पिता को बच्चों के सामने हमेशा सकारात्मक सोच रखनी चाहिए ताकि वह बच्चे को आगे बढ़ता हुआ देख सकें क्योंकि अगर वह पॉजिटिव एटीट्यूड के नहीं होंगे तो बच्चे को भी इस और प्रेरणा नहीं दे पाएंगे क्योंकि एक सकारात्मक सोच ही दूसरे को सकारात्मक सोच की और भेज सकती है।

डॉक्टर संथी सर्वनन के प्रश्न का उत्तर बहुत ही खूबसूरत ढंग से देते हुए उन्होंने कहा कि कोरोना काल में बच्चे अभिभावकों के साथ कैसे मस्ती कर सकते हैं तो इसका उत्तर देते हुए कहा कि वह अभिभावकों के साथ खेल -खेल में अपना मनोरंजन कर सकते हैं। इससे दोनों के बीच में सामंजस्य पैदा होगा और व्यवहारिकता के कारण वह एक दूसरे को समझने में सक्षम होंगे।
मॉडरेटर क्रिस्टीन डिकोस्टा के पूछे गए प्रश्न जिसमें उन्होंने पूछा कि घरेलू शिक्षा और परंपरागत शिक्षा दोनों में क्या अंतर है इसका उत्तर देते हुए स्पष्ट किया कि कोरोना काल में बच्चे ऑनलाइन घरेलू शिक्षा से ही अध्ययन कर रहे हैं स्कूल जाने और परंपरागत तरीके से शिक्षा पाने में असमर्थ है परंपरागत तरीके से शिक्षा द्वारा बच्चे ज्यादा अच्छी तरह सीखते हैं।
इस पूरी चर्चा में यह बात सामने आई कि अगर माता-पिता अपनी सकारात्मक सोच रखते हैं तो वह बच्चे के जीवन में सकारात्मक सोच से विकास करने में सक्षम होते हैं।
अंत में श्रीमती इना सिंह ने सकारात्मक विचारों के कार्यक्रम समन्वयक ने निमंत्रण स्वीकार करने के लिए ट्रेनर टिफनी एन्न एलिस ब्रेवर का आभार व्यक्त किया। डॉ गौरव शर्मा ने भी ट्रेनर और मॉडरेटर के प्रति आभार व्यक्त किया।
उन्होंने कहा, “आपके बहुमूल्य समय के लिए और हमें इतना प्रेरक, अविश्वसनीय, अंतर्दृष्टिपूर्ण और दिलचस्प सत्र देने के लिए धन्यवाद। हम आपके लिए धन्य हैं।
इतना ऊर्जावान और अद्भुत मॉडरेशन के लिए क्रिस्टीन डिकोस्टा का भी आभार और धन्यवाद व्यक्त किया।
सत्र वास्तव में अविश्वसनीय, प्रेरक, अंतर्दृष्टिपूर्ण और रोचक था।
अंत में अतिथी, मॉडरेटर , और कोऑर्डिनेटर को प्रमाणपत्र द्वारा वस्तुतः धनयवाद और सम्मान प्रदान किया गया ।

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