दुनियाभर में मशहूर ‘राजे-रजवाड़ों’ का राज्य राजस्थान, बचपन में देखा ‘सपना’ आरटीडीसी के सहयोग से अब हो रहा साकार
बीकानेर। अपने तरह की दिलचस्प संस्कृति और लोक कलाओं के लिए पूरी दुनिया में मशहूर राजस्थान के बारे में बचपन से सुनते थे। खासकर राजे रजवाड़ों के राज्य राजस्थान में राजा-महाराजाओं के रोचक किस्से, यहां की समृद्ध संस्कृति, परम्पराओं के अलावा हैरतअंगेज अतीत। यह कहा पश्चिम बंगाल पुलिस के डिप्टी एसपी सुजीत कुमार बोस और बोस की पत्नि इतिहास की सहायक अध्यापिका रुना बोस ने। राज्य भ्रमण पर निकले यह दम्पत्ति पहली बार राजस्थान आए है और बीकानेर से शुरुआत कर जैसलमेर, डेजर्ट, जोधपुर, माऊंट आबू, उदयपुर, चित्तौडग़ढ़, अजमेर, पुष्कर जयपुर भी जाएंगे। यहां एक विशेष बातचीत करते हुए बोस ने कहा कि जब बचपन में पढ़ाई-लिखाई शुरु की या यूं कहें कि समझ पड़ी उस समय सोचा कि कभी राजस्थान जाएंगे और यह सपना लगभग दो दशक से अधिक समय बाद पूरा हो रहा है। यात्रा हमने बीकानेर से शुरु की है। उन्होंने कहा कि दुनिया की सबसे पुरानी सिंधु घाटी सभ्यता के निशान राजस्थान के अतीत में समेटे हुए है। सुना भी है कि यहां सभ्यता और संस्कृति का अविरल प्रवाह जारी है। वे बोले, यह धरती रणबांकुरों की धरती कहलाती है। राज्य की एक सीमा पड़ौसी देश पाकिस्तान के साथ लगती है। बीकानेर जो राज्य के उत्तर-पश्चिम इलाके में स्थित है। उन्होंने कहा कि सुना था कि जयपुर से पहले बीकानेर ही राजे-रजवाड़ों के राज्य राजस्थान की राजधानी था। हमने यहां का जूनागढ़ किला, राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र व देशनोक स्थित विश्वप्रसिद्ध मां करणी का मंदिर देखा है। कदम-कदम पर बड़ी-बड़ी हवेलियां, महल और किले देखने को मिले। साथ ही अन्य विरासत की चीजें अनुपम व दर्शनीय है।
आरटीडीसी से मिला राजस्थान भ्रमण करने का प्लान
पश्चिम बंगाल पुलिस के डिप्टी एसपी सुजीत कुमार बोस ने बताया कि जब हम राजस्थान के भ्रमण पर रवाना हो रहे थे तो पश्चिम बंगाल में राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) दफ्तर पहुंचे और वहां कोलकाता प्रभारी हिंगलाजदान रतनू से मिले तो पता चला कि दूर-दूर तक फैले ‘रेतीले धोरों के समंदर’ के बीच बसा बीकानेर टूरिस्ट अट्रैक्शन है और पार्टनर के साथ वीकेंड का प्लान बनाएं। महाराजा राव बीका द्वारा बसाए गए शहर बीकानेर केजूनागढ़ किले में मुगल, गुजराती और राजपूतों के स्टाइल का आर्किटैक्चर देखा। पत्थर पर की गयी नक्काशी, यहां की ज्वैलरी, कुंदन, जड़ाऊ भी तारीफे काबिल है। उन्होंने बताया कि शहर से ही 10 किलोमीटर की दूर पर ही ‘रेगिस्तान के जहाज’ ऊंट का राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र स्थित है। जो प्रमुख पर्यटन स्थल के रुप में जाना जाता है। वहां हमने विभिन्न नस्लों के ऊंट तथा इनकी स्वभावगत आदतों का अनुभव देखा। केंद्र में उष्ट्र सवारी, सफारी, के साथ-साथ उष्ट्र मिल्क पार्लर का विशेष आकर्षण देखा।
कहीं जाएं या न जाएं राजस्थान जरुर देखें भारतीय
बोस दम्पत्ति ने कहा कि राजस्थान एक ऐसा राज्य है जो पूरे देश में एक अलग ही मुकाम हासिल करता है। राजस्थान पर्यटन विभाग और भारतीय रेलवे द्वारा चलायी जा रही ‘पैलेस ऑन व्हील्स’ जो अभी कोविडकाल की वजह से बंद है राज्य के कई शहरों का भ्रमण करवाती है और यहां की ऐतिहासिक विरासत के बारे में दिग्दर्शन कराती है। हमारा यही संदेश है कि यदि जीवन में देशवासियों को कुछ देखना है तो कहीं जाएं या न जाएं लेकिन राजस्थान जरुर देखें।